मुस्कुराहट हमसे इन दिनों कोसों दूर है,उदासियों से ही अब इस चेहरे का नूर है।यूँ तो कहने को कोई खास बात नहीं है मुझमें,बस एक मेरी सादगी है जो बड़ी मशहूर है। -
मुस्कुराहट हमसे इन दिनों कोसों दूर है,उदासियों से ही अब इस चेहरे का नूर है।यूँ तो कहने को कोई खास बात नहीं है मुझमें,बस एक मेरी सादगी है जो बड़ी मशहूर है।
-
अब पहले जैसी बातें नहीं हुआ करती,वो सुकून वाली रातें नहीं हुआ करती।ये तो अश्क हैं जो बेवजह छलक जाते हैं,वरना यूँ बिन मौसम बरसातें नहीं हुआ करती। -
अब पहले जैसी बातें नहीं हुआ करती,वो सुकून वाली रातें नहीं हुआ करती।ये तो अश्क हैं जो बेवजह छलक जाते हैं,वरना यूँ बिन मौसम बरसातें नहीं हुआ करती।
एक शाम यूँ गम से मुलाकात हो गयी,बंजर जमीन पर मानो बरसात हो गयी।वक्त बस फिसलने का मौका ढूँढता रहा,पता नहीं कैसे शुरू हमारी बात हो गयी।फिर हम दोनों की महफिल ऐसी जमी,खबर न हुई कब दिन से रात हो गयी।जो हाल मेरा सुना तो गम भी रो पड़ा,न जाने कब मेरी इतनी औकात हो गयी।न मिलेंगे दोबारा कह कर वो चला गया,ये उसकी ओर से मेरी सौगात हो गयी। -
एक शाम यूँ गम से मुलाकात हो गयी,बंजर जमीन पर मानो बरसात हो गयी।वक्त बस फिसलने का मौका ढूँढता रहा,पता नहीं कैसे शुरू हमारी बात हो गयी।फिर हम दोनों की महफिल ऐसी जमी,खबर न हुई कब दिन से रात हो गयी।जो हाल मेरा सुना तो गम भी रो पड़ा,न जाने कब मेरी इतनी औकात हो गयी।न मिलेंगे दोबारा कह कर वो चला गया,ये उसकी ओर से मेरी सौगात हो गयी।
ये जो अकेले में पलकें भिगा रहे हो,कौन है जिसे भुला नहीं पा रहे हो ? -
ये जो अकेले में पलकें भिगा रहे हो,कौन है जिसे भुला नहीं पा रहे हो ?
ख्वाब और हकीकत में बहुत अंतर है,अनुभव और ज्ञान में बहुत अंतर है।दूसरों का आंकलन करने वालों तुम क्या जानो,जिंदगी जीने और गुजारने में बहुत अंतर है। -
ख्वाब और हकीकत में बहुत अंतर है,अनुभव और ज्ञान में बहुत अंतर है।दूसरों का आंकलन करने वालों तुम क्या जानो,जिंदगी जीने और गुजारने में बहुत अंतर है।
Temporary सी जिंदगी में,शिकायतें Permanent हैं। -
Temporary सी जिंदगी में,शिकायतें Permanent हैं।
जिंदगी के सफर में अकेले आये थे अकेले जाना है,फिर क्यों सोचे कौन अपना और कौन बेगाना है। -
जिंदगी के सफर में अकेले आये थे अकेले जाना है,फिर क्यों सोचे कौन अपना और कौन बेगाना है।
कभी तो कुछ सोचने समझने का वक्त दिया कर ए जिंदगी,यूँ पल भर में मुझसे सब छीन लेना कहाँ का न्याय है? -
कभी तो कुछ सोचने समझने का वक्त दिया कर ए जिंदगी,यूँ पल भर में मुझसे सब छीन लेना कहाँ का न्याय है?
वक्त का कुछ ऐसा शोर हो रहा है,जिम्मेदारियों का बहुत जोर हो रहा है।यूं तो कभी किसी का बुरा न चाहा मैंने,फिर खुदा क्यों मुझ पर कठोर हो रहा है। -
वक्त का कुछ ऐसा शोर हो रहा है,जिम्मेदारियों का बहुत जोर हो रहा है।यूं तो कभी किसी का बुरा न चाहा मैंने,फिर खुदा क्यों मुझ पर कठोर हो रहा है।
कल्पनाएँ..!!◆अनुशीर्षक -
कल्पनाएँ..!!◆अनुशीर्षक