Kavi Hari Shanker   (Kavi Hari Shanker)
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Joined 13 January 2019


Joined 13 January 2019
6 DEC 2021 AT 19:16

इंतज़ार वो आँधी है
जिसके प्रचंड वेग में
उड़ जाता है धैर्य
और चला जाता है
मन से कहीं दूर
तिनके की तरह
बिखड़कर
धैर्यहीन मन हो जाता है व्यग्र
इंतज़ार के प्रतिफल के लिए
आँधी के थमते ही
मन को हो जाता है इत्मीनान।

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4 DEC 2021 AT 22:58

जिंदगी वो रास्ता है
जो जीवन के उषा से
मौत की निशा तक जाता है
दुःख और सुख का ठहराव
जैसे दोपहर और संध्या का पड़ाव
फिर मुसीबतों का स्पीड ब्रेकर बन जाना
और धैर्य को मील का पत्थर बन जाना
जिंदगी के रस्ते की व्यथाएं और कथाएं हैं।

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4 DEC 2021 AT 10:17

चल के तो देख यार, ख़ुदा मददगार है
दोष न दे किस्मत को, तू ही कसूरवार है
वो तो चाहता है कि तू प्रवाहवान बन
पर तू चाहता है कि बैठ खायें गैर धन
वजह यही है कि तुम्हारी कुंद धार है
अब कह भला तू कि कौन कसूरवार है ?

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2 DEC 2021 AT 21:17

मन की सीमा जाने कौन
वो जो पहचाने है मौन
तीनों लोकों का यह दर्श
पल में कर ले रहकर गौण।

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29 NOV 2021 AT 23:22

तुम क़दम आगे बढ़ाओ, रास्ता बन जाएगा
लौह निश्चय कर दिखाओ, रास्ता बन जाएगा
चाँदनी साड़ी पहन के साथ हमारे है निशि
तारका तुम मुस्कुराओ, रास्ता बन जाएगा।

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29 NOV 2021 AT 18:27

जब सच सम्मुख आया मेरे
दिल कितना घबराया था
अलि कली मन बंधे हुए थे
औ सन्नाटा छाया था
खुद को कलुषित करती कैसे
एक वही सरमाया था
कल जिसको पाया पूजा था
आज उसे ठुकराया था
जब सच सम्मुख आया मेरे
दिल कितना घबराया था

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29 NOV 2021 AT 7:26

रात भर हमने दुआ की
उन्हीं के लिए
घोंप-घोंप शीत वात
बरछी से मूर्छित हो
शीतज्वर से आतप
जिंदगी न दम तोड़े।

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27 NOV 2021 AT 22:30

अभाव

भावों की अतिशयता
जहाँ मुझे दिखी
लोग उसे अभाव कहते हैं
साधनों की कमी को
अ 'भाव' कहना
मेरे समझ से परे है
अ 'भाव' तो
मैंने वहाँ देखी है
जहाँ है
साधनों की प्रचुरता।

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25 NOV 2021 AT 9:36

ग़लती की सज़ा

कभी-कभी
किसी की ग़लती की सज़ा
किसी और को भोगना पड़ता है
शायद
पूर्वजन्म में
या इसी जन्म में
किसी के द्वारा
अग्रिम के रूप में भोग ली गई होती है
उस ग़लती की सज़ा
या फिर
किसी और के द्वारा की गई ग़लती की सज़ा
भुगतेय रह गई होती है
जो उसे भोगना पड़ता है
बाद में
ग़लती किए बिना।


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22 NOV 2021 AT 0:45

ये शहर वो शहर तो नहीं
पीसती रात भर तो नहीं।

घर उसे वर उसे मिल गया
एक दिन का सफर तो नहीं।

क्या अकेली गुनहगार वो
दोष उस एक पर तो नहीं।

सिर्फ सहती वही गालियां
बस वही दर बदर तो नहीं।

चीर उसका हरा जब गया
आ सके मुरलीधर तो नहीं।

जिंदगी तो मिली भाग्य से
जिंदगी है ज़हर तो नहीं।

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