Kashif Aftab   (✍️काश_if ✍️)
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Joined 1 May 2018


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1 JUN 2020 AT 19:59

अपने रब को दिल से याद किया करो,
इबादत का लहज़ा जो भी हो अदा ज़रूर किया करो...
तू चंद मुश्किलात लिए ख़ुद को अकेला मत समझ ऐ बंदे,
अल्लाह है तेरे साथ इस बात का हरदम शुक्रिया अदा किया करो...।।।

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21 APR 2020 AT 10:14

दिखावटी तेवर लेकर सोचता है तू अपना नाम कर जाएगा,
अरे नादान तेरी यही सोच तुझे हमेशा के लिए बदनाम कर जाएगा...
ये हुस्न, दौलत और ऐश-ओ-आराम पर हद से ज़्यादा गुमान मत कर,
ज़रा सा वक़्त ने करवट ली तो यह सब कुछ बर्बाद हो जाएगा...।।।

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9 MAR 2020 AT 22:22

इस होली खुशियों का फैला चारों तरफ रंग हो,
बहुत हो चुका अब नफरतों का बाज़ार बेरंग हो...
ऊपर वाले कि कुछ इस तरह रहमतें हो हम सब पर,
कि इस ख़ुशनुमा आसमां के नीचे हर इंसान एक दूसरे के संग हो...।।।

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18 FEB 2020 AT 22:24

देख ना ख़ुदा तेरा ये बंदा कितना ना-फ़रमान हो गया है,
तेरी रहमतों का खज़ाना पा कर हमेशा के लिए तेरा कर्जदार बन गया है...
नेकियों की बात तो करता है पर कभी कभी गलती से ख़ुद ही गलतियां कर दिया करता है,
या अल्लाह तू रहमान है जो मुझे हरदम माफ कर दिया करता है...।।।

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5 FEB 2020 AT 22:46

वो शोहरतोऺ का शहर ढूंढते रह गए,
मैंने खुशियों के मोहल्ले में बसेरा बना लिया...।।।

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16 DEC 2019 AT 22:22

आज एक दूसरे से जुदा हुए हमें एक साल हो गए,
सुना है अब तुम किसी अजनबी के हमसाए हो गए...😪
ख़ैर,
मेरी हर नमाज़ के बाद उठे मेरे हाथ,
मेरे अपनों पर रहमतों का अंबार मांगता है...
अब मेरे ख़ामोश लब नाम-ए-ज़िक्र नहीं करते तुम्हारा,
पर आज भी मेरी हर दुआ में ये दिल बहुत ख़ामोशी से तुम्हारी खुशियां तमाम मांगता है...।।।

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30 NOV 2019 AT 22:42

ये दुनिया मेरे समझ से अब अंजान है,
यहां इंसानों के शक्ल में रहते हैवान है...
मसल दी जाती है यहां बेटियां जो इस ज़मीं की शान हैं,
इन ख़बरों का अख़बार में आना अब बहुत आम है...

सरकारें क्यों नहीं लेती कोई सख़्त फ़ैसला,
यह देख दिल भी बोल उठा हुकूमत बेईमान है...
अरे फांसी दे दो,ज़िंदा जला दो या बीच चौराहे पर भूनवा दो,
इस जुर्म के लिए इन शैतानों का बस यही अंजाम है...।।।

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25 NOV 2019 AT 23:14

कुछ हाथ इतने कमज़ोर हुआ करते है,
जो औरतों पर उठ जाया करते है...
उसपे से इनकी बेशर्मी का आलम तो देखो,
ये नाकाम और जाहिल ख़ुद को बहुत शान से 'मर्द' कहा करते है...।।।😠

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20 NOV 2019 AT 23:03

मैं क़ब्र अंधेरी में घबराऊंगा जब तन्हा,
इमदाद मेरी करने आ जाना "रसूल अल्लाह"...
रोशन मेरी तुर्बत को ऐ नूर-ए-ख़ुदा करना,
जब वक़्त-ए-नज़ह आए दीदार अता करना...।।।

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15 NOV 2019 AT 21:33

कहीं अब मुलाक़ात हो जाए हमसे,
बचा कर के नज़र गुज़र जाइएगा...
जो कोई कर जाए कभी ज़िक्र मेरा,
हंसकर फिर सारे इल्ज़ाम मुझे दे जाइएगा🤐...।।।

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