आजकल कुछ लोग मुझे इधर उधर करने लगे हैं, वो शायद जानते नही की मैंने टूटी हुई उम्मीदों को, जोड़ जोड़कर खुद का हौंसला बनाया है, और सुनो मुझे कानून मत बताओ, मैं उसके खानदान से हूँ, जिसने इस देश का कानून बनाया है ।
ऐसा कोई दिन नही जिस दिन तुम्हारा ज़िक्र ना करूँ, किसी भी दर पर बैठूँ ओर तुम्हारी फ़िक्र ना करूँ, ऐसे कौन जाता है यार जैसे तुम गयी मुझे छोड़कर, दर्द से भर गया है ये दिल अब जख्मों का ज़िक्र क्या करूँ