Kanchan Soni   (❤️)
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😉
Joined 20 July 2018


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31 JUL 2022 AT 22:19

जन्मदिवस की ढेरो शुभकामनाएं।

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13 JUL 2022 AT 13:20

और एक दिन
थक कर,
हमने भी
सब कुछ छोड़ दिया
ज्यों का त्यों।
खुद से हारने के बाद
अन्य विकल्प भी तो नहीं रहता।

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1 JAN 2022 AT 2:07

दिसंबर की सर्दी की आखिरी रात..

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21 APR 2021 AT 12:47


कभी-कभी परिस्थितियों को
सुलझाते-सुलझाते
खींच-तान के
उलझा देती हूं।
और आख़िर में
तंग आकर हार जाती हूं।
पर मानती नहीं,
फिर उठती हूं
और पाती हूं कि
मै निपट अकेली नहीं
पूरी कायनात
लड़ रही है इससे..
आख़िर क्यूं ??
मुठ्ठी भर रौशनी ख़ातिर !

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14 FEB 2021 AT 1:22

हर प्रेमिका नहीं चाहती
होंठ का स्पर्श..
किसी किसी को पसन्द है ;
गर्व से चमकते मस्तक को आंखों से चूमना।



( अनुशीर्षक में )
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3 FEB 2021 AT 16:14

बड़ी देर की तुमने आने में
फेब्रुअरी ;
ख़ैर...
आओ बैठो।

अच्छा सुनो..!!
पहले खुशियां
खुटी पर टांग के आओ।

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8 DEC 2020 AT 20:26

वह बातें जो मुखातिब नहीं होती
कद्दावर सी होती हैं
रूमानी से ताल्लुक़ात के बावजूद
गैर रूमानी होती है
आहिस्ते आहिस्ते खोखला कर देती है
वो बातें जो कही नहीं जाती
स'आदर पन्नों पर लिखी जाती हैं
उन पन्नों के कई पन्ने कर
राख कर दियें जाते है
इस सहूलियत के बाद भी
वो तबाह नही होती
वो बातें जो कही नहीं जाती
"कालजयी होती हैं"

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22 OCT 2020 AT 0:32

कई मर्तबा
मन ना हो
तो भी
पी लेती हूं..!
सच कहूं..
तो मुझे चाय
बिल्कुल पसंद नहीं ;
पर प्रेम है
क्योंकि चाय
उसे पसंद है..!
उससे प्रेम है
शायद इसलिए
चाय से भी करती हूं...!!

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18 OCT 2020 AT 14:12

गहन अंधेरी पहर में
शून्य के नीचे
चित्त पड़ी हुयी
नीरस किन्तु आश्वस्त
पराजित सिंघनी-सी
टिमटिमाते तारों को ताकते हुए
कभी फफक कर
कभी सिसक कर
निर्झर-निर्झर बहते हुए
बिखरे कल को भूल
आज को समेटे
कल की खूबसूरती को
आशाओं की ढेर से सजाती हूं
मै अगले ही क्षण
खूब जोर से मुस्कुराती हूं ...!!

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5 SEP 2020 AT 23:44

Happy Teacher's day 🙏🏻🙏🏻

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