तुम आ रही हो,
मन प्रफुल्लित है।
तेरे आगमन के अहसास से,
रोम रोम रोमांचित है,
तुम बहुत प्रिय जो हो।
तेरी अनुपस्थिति,
मुझे परेशान कर देती है,
उस दौरान हरपल तुझे ,
याद करता हूँ,
तेरे बिना आहें भरता हूँ,
क्यूंकि तू है मेरी अजीज़,
तेरी सोहबत मुझे भाती है,
तेरे संग तन-मन,
स्फूर्ति से भरा रहता है।
तेरा यूँ सहज कदमों से
फिर से आना ,
मुझे भावविभोर करता है।
अब क्या छिपाऊँ सब से,
तेरा प्यारा परिचय,
तुम और कोई नहीं,
मेरी अजीज़ ,
मेरे दिल के क़रीब,
तुम प्यारी ऋतु शीत हो
(कैलाश राठी,गुवाहाटी 15.10.2022)
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