K K Joshi   (के के जोशी)
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अध्ययन/अध्यापन
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः
Joined 23 August 2022


अध्ययन/अध्यापन
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः
Joined 23 August 2022
3 HOURS AGO

नींद से कोसों दूर रही रातें मेरी
दिन भी मेरा पूरी तरह जगा कब था
जिसकी यादों का आलिंगन कर सोया
वो भी खुलकर मुझसे गले लगा कब था!!

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5 HOURS AGO

जिसके लिए दिये मैं जलाता रहा हर रोज
मेरी गली से बच के वो जाता रहा हर रोज

शायद उसे पसन्द नहीं थे ये उजाले
बस सपनों में वो इसलिए आता रहा हर रोज

वो जानता था वो मुझे कुछ दे नहीं सकता
दिल में उम्मीद फिर भी जगाता रहा हर रोज

वो ' कृष्ण ' कोई शख्स न था बस खयाल था
मेरी ही धुन पे मुझको नचाता रहा हर रोज

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22 HOURS AGO

सांस लेता था मगर शख्स वो जिंदा तो न था
मन उड़ा था तेरी तरफ़ जो, परिंदा तो न था

छुपी रूहानियत में थी जो हवस वो न दिखी
अपना चेहरा न दिखा जिसको वो अंधा तो न था

जिसे तलब थी आसमां की मगर पंख न थे
वो फड़फड़ाया हो कितना ही पर उड़ा तो न था

'कृष्ण ' वो मुझमें ही छुपा हुआ एक चेहरा था
अधखिले फूलों सा मुरझाया था गिरा तो न था

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2 MAY AT 20:21

यादों के बिना
रिश्तों का
नहीं होता कोई अस्तित्व -----
सच पूछो तो
रिश्ते जोड़ हैं
यादों और कल्पनाओं के ----
विशुद्ध वर्तमान में तो
अकेला होता है हर व्यक्ति !!!

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2 MAY AT 8:35

न हंसो उस पे

न हंसो उस पे, तुम्हारा ही अक्स है वो भी
इश्क में आदमी क्या क्या सुलूक करता है
कोई तो भूत सा दबा है उसकी यादों में
जिससे बचने के लिए झाड़ फूंक करता है

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2 MAY AT 7:01

उसकी चाहत के लिए खुद को सजाकर रक्खा
उसकी राहत के लिए खुद को भुलाकर रक्खा

वो मेरे जिस्म से उठे मेरे मन तक आए
इसलिये शर्म का पर्दा भी बनाकर रक्खा

वो परत दर परत कुछ खोलता गया मुझमें
मैंने हर चीख को सीने में दबाकर रक्खा

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1 MAY AT 6:36

किधर जाना है तुमको ये अगर तुमको पता होता
सफर होता अलग कुछ और अलग ही रास्ता होता

मैं सपनों में तेरे संग यूं न सपने बुन रहा होता
मेरा तुझसे, तेरा मुझसे न कोई वास्ता होता

अजब है दौड़ जिसमें मंजिलें दूर होती जाती हैं
मैं रुक जाता तो कब का अपनी मंजिल पा गया होता

जो भागे थे बहुत तेज अब नहीं मिलता निशान उनका
जिन्हें आता था रुकना काश मैं उनसे मिला होता

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28 APR AT 18:31

शास्त्र कहता है---
सच बोलो प्रिय बोलो
कड़वा सच मत बोलो
हित बोलो, मित बोलो
परनिंदा रहित बोलो
उद्वेगकर न बोलो
उद्वेग में न बोलो---
जब तक चुप रहकर चलता हो
मत बोलो
और एक तुम हो
जो कहते हो सच बोलो !!

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28 APR AT 11:51

मेरी कापी तेरे बस्ते में न छूटी होती
आज किस्मत मेरी इस कदर न फूटी होती

मैं किसी झूठ के संग जिन्दगी बिता लेता
मेरी अंगुली में जो तेरी न अंगूठी होती

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26 APR AT 18:40

--------अभी चाहत अधूरी है --------

अभी चाहत अधूरी है
अभी तक चाहने वाला
बचा है, सांस लेता है
अभी करने, न करने का
किसी को भ्रम बना है
अभी चाहत अधूरी है -----
अभी कुछ और गहरे में
छुपे हैं राज जीवन के
जहां पर खोजने वाला
स्वयं ही खोज हो जाए
जहां पाना न खोना हो
न 'हूं' हो, मात्र होना हो ---
अभी भ्रम है तो दूरी है
अभी चाहत अधूरी है

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