ज्योति मिश्रा ✍️  
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Joined 24 November 2017


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Joined 24 November 2017

अक्सर हंसते हुए चेहरे ही झूठ बोला करते हैं
दिल में दर्द छुपा होठों से मुस्कुरा जाया करते हैं

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अल्फाजों से कहां ब्यां हो पाती है मोहब्बत
मोहब्बत से चेहरे पर ब्यां होते हैं अल्फाज

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मुट्ठी भर सपने, तारों भर अपने
भरा पूरा आसमान है
पर कोरे (खाली) हमारे अरमान है

सपनों की चादर को क्यों ना हकीकत में ओढ़े
खुद को अपनी कामयाबी की ओर मोड़ें
छोटे-छोटे सपनों को जोड़े

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जीवन की हर परेशानी को कर दो खुद से दूर
ना बनो बेसहारा- लाचार, बेबस या मजबूर

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खुद से लोग वादा तीन
१. दोगे खुद का साथ सदा, टूट भी गए यदा
२. खुश रखोगे खुद को, न देखोगे युग को
३. स्वप्न तेरे ना रहे अधूरे, हर कीमत पर हों पूरे

आपको नव वर्ष कि मंगलकामनाओं के साथ परिवार के सुख समृद्धि की कामनाएं

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मत रहो किसी के लिए हर पल Available
वरना कमजोर हो जाते हैं रिश्तो के Cable

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अनदेखा

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i'm dead inside
The truth is that deep inside I don't even want to live.

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बिखर जाते हैं लोग टूट कर
अक्सर खुशियों से निखर कर
टूटने के डर से
डर - डर कर 🙂

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बेटियों में बसती है माता-पिता की जान
क्योंकि बेटियां मां-बाप के लिए कर देती हैं
पूरी जिंदगी कुर्बान

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