जज़्बात ए मानसी   (अहसास ए मानसी)
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Joined 11 June 2019


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कलमकारी का आपको, तजुर्बा है हासिल,
सच आपकी लेखनी है तारीफ़ के काबिल.

उफ, चांद से चेहरे पे दया, ममता के भाव,
ज़माने में कोई भी नहीं आपके मुकाबिल.

नायाब गौहर से आपके अंदाज -ए- बयां,
कागज़ पर अंकित हर्फ लगते है कातिल.

दुवा इस नाकाम दिल की, पूरी हो कभी,
किसी रोज़ आपको, मिल जाए, साहिल.

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चमकते हुए, सितारे आप हो.
खुद ही अपने सहारे आप हो,

चमन में आपसे ही बहारें,
हाय ! फूलो से प्यारे आप हो.

सुनो ना कहती है वादियां,
बहते झरनों के धारे आप हो.

आप जैसा कोई भी नही,
नायाब दोस्त हमारे आप हो.

-



आपकी कलम को, आसमान मिले,
सारे जहां में, आपको सम्मान मिले.

चलते कदम, कभी न हो बिस्मिल,
रास्ते आपको फूलों के समान मिले.

जादुई कलमकारी दिखाए जौहर,
आपकी, लेखनी को, पहचान मिले.

कोई गमों दर्द आपको छुए भी ना,
आपके लबों को सदा मुस्कान मिले.

आपका सर रहे, बुलंदियों पे सदा,
दुवाएं है, आपको यही वरदान मिले.

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सच रूह की गहराई के साथ,
बयां होते है आपके जज़्बात.

हर अल्फाज एहसास में तर,
कलम लिखे, दिल ए हालात.

आप में कलमकारी का हुनर,
रब ने बख्शी नायाब सौगात.

मांगा है यही दुवाओं में दोस्त,
चले कलम, दिन हो या रात.

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नर से बढ़कर नारी आप,
हो सब पे ही भारी आप.

तमाम मुश्किलें आई गई,
फिर भी कहां हारी आप.

हौसले को ताकत बनाया,
छोड़ आए लाचारी आप.

दुर्गा का फिर रूप धरा,
करते सिंह की सवारी आप.

आपके वार से कौन बचा,
हो दो धारी कटारी आप.

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आपके बयां लफ़्ज़ों में, पायल सी झंकार है,
इस जहां में आप जैसे कम ही कलमकार है.

हर रोज़ ही खुलता है एहसासों का खज़ाना,
नायाब अल्फाज़, लुटाने को, आप तैयार है.

आपका, हर एक शब्द, मोतियों सा कीमती,
यहां, हर कोई, आपको पढ़ने को बेकरार है.

यकीनन चांद सितारों सी है कलम आपकी,
आपकी लेखनी से ही तो ज़माने में बहार है.

कबूल कर लीजिए ये एहसास का नज़राना,
नाचीज़ दोस्त का, ये मामूली सा, उपहार है.

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नज़र न लगे वो होठों पे काला तिल रखते है,
चेहरे के साथ-साथ, खूबसूरत दिल रखते है.

जहां उठे नजर उनकी, वहां झुके ज़माना,
आंख के इशारे पे सफ़र की मंजिल रखते है.

आंखों मे काजल मला हुआ है वफा का,
उफ सादगी से भरी अदाएं कातिल रखते है.

यकीनन ये तो हमारी खुशनसीबी है साहब,
अपने दोस्तों में वो जो हमे शामिल रखते है.

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कोई कहे हकीकत, कोई कहे वो ख्वाब है,
सच में कौन है वो, किसके पास जवाब है.

रुखसार चांद सा, उफ्फ आंखे कंवल से,
हाय लब सुर्ख सुर्ख खिलते हुए गुलाब है.
सच में कौन है वो किसके पास जवाब है.

कोई भी समझदार आए तो पढ़कर जाए,
यकीनन दिल उनका खुली हुई किताब है.
सच में कौन है वो किसके पास जवाब है.

अब क्या है, किसके दिल में, कौन जाने,
यहां तो, सबके ही चेहरे पे एक नकाब है.
सच में कौन है वो किसके पास जवाब है.

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ख़ामोश रहना, किसी से कुछ न कहना,
इतना भी आसां नही है, इश्क में रहना.

बयां लफ़्ज़ों का क्या है कोई भी पढ़ ले,
कौन, देख पाया है एहसासो का बहना.

इस तरफ आओ तो दिल देखते जाना,
ज़ख्मों को सजा रखा समझ के गहना.

नकली हंसी के पीछे चेहरे की उदासी,
कौन है जिसने ये नकाब नही है पहना.

अपने गम का कोई कैसे करे बंटवारा,
खुद का दर्द यहां खुद को ही है सहना.

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आपके नाम से हो, सारे जहां में, उजियारा,
सूरज सा चमके आपके नसीब का सितारा.

दुख, दर्द, मुश्किल का ये आखरी दौर हो,
खुशियां मिले, गम लौट के आए न दोबारा.

मालिक की आप पर हमेशा रहमत बरसे,
आपकी टूटी कश्ती को मिल जाए किनारा.

रब, दुवा इस दिल की कभी तो रंग लाए,
जीने का आपको मिल जाए कोई सहारा.

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