Jivesh Upadhyay   (जिवेश)
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बस में हूँ और तुम्हारी यादो का कारवां।
Joined 19 June 2017


बस में हूँ और तुम्हारी यादो का कारवां।
Joined 19 June 2017
18 APR 2023 AT 1:18

इश्क भी जरूरी है बेवफ़ा से,
वरना इश्क से नफ़रत कैसे होगी।

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25 JAN 2023 AT 7:58

कोशिश थी हमारी फिर से जिंदा होने की,
पर अपनो ने ही फिर मार दिया।

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18 JAN 2023 AT 18:09

गुनहगार तो उनकी अदाएं हैं मौत की मेरे,
वरना जमाने में हमारे कत्ल की ताकत कहां ।

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6 JAN 2023 AT 18:11

तेरी नीली साड़ी में चमचमाता बॉर्डर,
प्रतिबिंब है नीले आसमान में बिखरे तारों का,
और उसमें मुखड़ा तेरा,
प्रतिबिंब है चांदनी आसमान में चांद का।

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4 JAN 2023 AT 8:08

बेवजह नहीं होती बरसात इस सर्द मौसम में,
कल रात दिल रोया बहुत था ।

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1 JAN 2023 AT 1:39

स्वागत है तुम्हारा,
मेरे जीवन में,
देना तुम मुझे खुशियां भरपूर,
दूर करना दुखों का संसार,
स्वागत है तुम्हारा 2023 बारंबार।

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1 JAN 2023 AT 1:32

तेरा और मेरा इश्क कुछ ऐसा है,
जैसे धूप और छांव,
मुझ में चुभन भरपूर है,
और तुझ में शीतलता अपरंपार।

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29 DEC 2022 AT 22:47

हर चुप्पी के पीछे छुपी एक सच्चाई है,
मुस्कुराते होठों ने नमी आंखों की छुपाई है।

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22 DEC 2022 AT 17:31

तुम्हें ही सोचते हैं हम अब मसरूफ होकर,
कि जब से देखा है तुमको दिल लगता नहीं कहीं।

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22 DEC 2022 AT 15:57

लाल साड़ी में लिपटी हमारी मोहब्बत भी बड़ी कमाल लगती है,
जब देखती है वो तिरछी नजरों से हमें,
कसम खुदा की बड़ा बवाल करती है।

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