रहेंगे राब्ता(जुड़े हुए) हम यारों,
चाहे बीत जाए कहीं सालों ।
तेरा लिबास (पहर्वेश/कपड़े) बता रहा है पहचान तेरी,
अब तुझे याद करने में हो जाती है देरी,
मगर मेरे यार तू दिल-ए-धड़कन है मेरी ।
मेहर-ओ-माह (सूरज और चांद) सा लगता है अब मुझको,
अब क्या ही बताऊं हाल-ए-दिल तुझको।।
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