रोती रही आखिर में मैं पर तुम मौन थे ग़लत तो कोई और था गलतफहमी पैदा करने वाले भी और थे तुम कहते थे ना भूल जाओ कोई मुझसे अच्छा मिल जाएगा तुम्हे चलो हम भी कहेंगे कुछ दिन बाद याद नहीं हमारी ज़िन्दगी में तुम कौन थे
मेरी तन्हाई अक्सर मुझसे खेलती है। सबसे दूर कर मुझसे ही मेरी कहानी छेड़ती है। किस्से जागती है उसी के हर बार, उसी का मसला छेड़ती है। मेरी तन्हाई अक्सर मुझसे खेलती है।।