क्यू करती है परायों से उम्मीद तू निधि,तेरे तो अपने भी दगाबाज निकले । -
क्यू करती है परायों से उम्मीद तू निधि,तेरे तो अपने भी दगाबाज निकले ।
-
मै एक फूल हू इस उपवन कातुम मुझे इत्र बन मेहकाती हो ,मै तरसता हू कुछ बूंद के लिएतुम मुझे बरखा मे भीगाती हो , जो कभी पडे मुझे जरूरत तेरीतुम मेरा साया बन आ जाती हो ,और क्या ही दू मै इसके बदले तुम्हेंजब भी आती हो मुझे अपना बनाती हो । -
मै एक फूल हू इस उपवन कातुम मुझे इत्र बन मेहकाती हो ,मै तरसता हू कुछ बूंद के लिएतुम मुझे बरखा मे भीगाती हो , जो कभी पडे मुझे जरूरत तेरीतुम मेरा साया बन आ जाती हो ,और क्या ही दू मै इसके बदले तुम्हेंजब भी आती हो मुझे अपना बनाती हो ।
तुझसे मुहब्बत कुछ इस तरह की हमनेतेरे जाने के बाद भी तुझसे ही की हमनेये जो मेरी सांस चल रही है तेरे नाम से तेरे जाने के बाद भी तेरे ही नाम की हमने -
तुझसे मुहब्बत कुछ इस तरह की हमनेतेरे जाने के बाद भी तुझसे ही की हमनेये जो मेरी सांस चल रही है तेरे नाम से तेरे जाने के बाद भी तेरे ही नाम की हमने
तू मिले तो रब मिलेतुझसे ही हर खुशी खिले तुझसे ही हो शाम मेरीतुझसे ही ये जिंदगी मिले -
तू मिले तो रब मिलेतुझसे ही हर खुशी खिले तुझसे ही हो शाम मेरीतुझसे ही ये जिंदगी मिले
याद करू या बुलाऊ आपकोरोऊ या फिर मनाऊ आपकोआज देखो क्या है हाल मेराकैसे कहू या सुनाऊ आपको -
याद करू या बुलाऊ आपकोरोऊ या फिर मनाऊ आपकोआज देखो क्या है हाल मेराकैसे कहू या सुनाऊ आपको
दुनिया भी बडी जालिम हैजो जैसा है उससे वैसे ही पेश आओअगर शेर के सामने गीदड़ बनोगेतो फिर मारे ही जाओगे -
दुनिया भी बडी जालिम हैजो जैसा है उससे वैसे ही पेश आओअगर शेर के सामने गीदड़ बनोगेतो फिर मारे ही जाओगे
ख्वाइशे मेरी अब मेरी ना रहीआजादी मेरी अब मेरी ना रहीकुछ इस तरह बदली हूं अब मैके ,मेरी ही जिंदगी मेरी ना रही -
ख्वाइशे मेरी अब मेरी ना रहीआजादी मेरी अब मेरी ना रहीकुछ इस तरह बदली हूं अब मैके ,मेरी ही जिंदगी मेरी ना रही
बजते है कान किसीके तो किसिकी जिव्हा पर बात आती हैये दुनिया जालिम है निधिरेहेम कहां खाती है -
बजते है कान किसीके तो किसिकी जिव्हा पर बात आती हैये दुनिया जालिम है निधिरेहेम कहां खाती है
उम्मीद नहीं बची अब मुझ मेफिर भी जिंदगी से शिकवा किए जा रही हूंपापा आज नही हो साथ मेरेफिर भी आपके इंतजार में जिए जा रही हूं -
उम्मीद नहीं बची अब मुझ मेफिर भी जिंदगी से शिकवा किए जा रही हूंपापा आज नही हो साथ मेरेफिर भी आपके इंतजार में जिए जा रही हूं
न जाने किस राह पे जिंदगी चल रही है ,हर शाम सूरज सी खुदबखुद ढल रही है,तड़पा रही है जीने को उस पंछी की तरह ,पिंजरा सोने का दे के सासों को छल रही है। -
न जाने किस राह पे जिंदगी चल रही है ,हर शाम सूरज सी खुदबखुद ढल रही है,तड़पा रही है जीने को उस पंछी की तरह ,पिंजरा सोने का दे के सासों को छल रही है।