कुछ इशारों में तुमने कुछ कहा था मैं नासमझ शायद समझा नहीं, कि तुमको भी कुछ हुआ था, अब जब समझा हूं तो, न पास तुम हो ना ही तुम्हारा प्यार बस हैं तो कुछ यादें और साथ बिताए वो पल, जो शायद कभी नहीं भुला पाऊंगा मैं, अब तुम किसी ओर की होने को हो और मैं बस तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा...
तूने तो हर मोड़ पर सिखाया है, अपना कौन पराया कौन ये भी तो बताया है, वक्त की नजाकत को भी तो तूने ही समझाया है सफर आसान नहीं है लेकिन सफर को आसान भी तो बनाया है तूने जिंदगी चुनौतियों से भरी हैं लेकिन इन चुनौतियों से लड़कर जीतना भी तो सिखाया है..
अजीब है ना, ये ऐसा हैं जैसे सब कुछ तुम्हारे फिर से क़रीब हैं ना, कई बार जिन्हें याद कर रो देते हैं हम,तो कभी मुस्कुराने की वज़ह भी होती हैं ना, यादों के साएं में जीना हसीन हैं ना !!
जो अचानक रुक गए चलते चलते क्या इतना थक गए..!! अभी थकना नहीं हैं तुझे, अभी रुकना नहीं है तुझे ये मंजिले नजदीक ही हैं बस दो कदम और.. तुझे कुछ हुआ थोड़ी हैं..।
उस जमीं का दीदार करते हैं जो कह गए थे आएंगे वापस उनका इंतजार करते हैं, हैं आसमां से भी एक गुज़ारिश जाकर कह दो उस रहबर से अब हमें और ना यूं तरसाए करता हूं इंतजार साहिल पर जल्दी से अपना दीदार कराए...
प्रेम का हर पाठ कर्म की महत्ता, मित्रता का पाठ प्रेम का त्याग, जीवन का आधार ज्ञान की राह शांति और सौहार्द्र ऐसे हैं श्री मुरलीधर श्री कृष्ण कन्हैया लाल...