himanshu chaturvedi   (हिमांशु चतुर्वेदी”मृदुल”)
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Joined 7 October 2020


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30 APR AT 21:36


दशकों बाद फिर से पकड़ी विकास ने रफ्तार
बदल रहा देश का रुतबा, हो रही जयजयकार
दुश्मन भी है अब ख़ौफ़ में, ज़रा दिखो तो यार
देके अपना वोट क़ीमती, फिर से मोदी सरकार

सत्ता का मोह नहीं, भ्रष्टाचारियों पे हो रहा प्रहार
विकसित राष्ट्र के नींव में आओ सब बने भागीदार
हर सिक्के के होते दो पहलू,कभी तो देखो उस पार
कर दो अब चार सौ पार, हाँ फिर से मोदी सरकार

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29 APR AT 12:25

विश्व भाल पे चमके आर्यावर्त फिर से एक बार
जड़े हो इतनी मज़बूत, बढ़ता रहे विजयरथ हर वार
केवल राष्ट्र ही सर्वोपरि , हो बस मन में यही विचार
जिसने किये प्रयास सार्थक, हाँ बने उसकी सरकार

संघर्ष चला पाँच सदी तक, फिर सजा प्रभु दरबार
राम नाम का रस सबने पिया, मिला आनंद अपार
आतंकवाद पड़ा नरम, बह रही घाटी में शीतल बयार
अरे क्या अब भी सोच रहे हो बने किसकी सरकार

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17 APR AT 20:52

थाम के रंग केसरिया, मन भरे सबका हुँकार
मार दे मन का रावण इस रामनवमी के द्वार

माना डगर बड़ी कठिन है ना मानना तू कभी हार
चरित्र राम सा बन जाये तो खुले मुक्ति का द्वार

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10 APR AT 16:36

आयो रे आयो म्हारो शुभदिन आयो
आयो रे आयो म्हारो नववर्ष आयो

चैत्र नवरात्रि रो प्रथम दिवस आयो
नव प्रभात नवरंग संग साथ लायो

माँ शैलपुत्री रो जय जयकार लगायो
विक्रम संवत् कहलावे, देवी कृपा पायो

कोई बोले गुढ़ी पड़वा, कही पर्व उगादी आयो
रंग गयो आर्यावर्त सारों , मन उल्लास छायो

नव वर्ष नव हर्ष, मिष्ठान मधुर खायों
मन भया सबका पावन,रंग केसरिया छायो

ऋतु रंग बदल रही, प्रमाण स्वयं पायो
मंद मंद धरा मुस्कावे, चित्त आनन्द आयो

ना व्यर्थ शोरशराबा,ना रंगीन चुस्की पायो
मंगल कलश सब धरयो रे , धुन राम गायो
आयो रे आयो म्हारो नववर्ष आयो….


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8 MAR AT 22:00

शिवपार्वती मंगलगीत

शिव भोले भंडारी, शिव भोले भंडारी
कैलाश के राजा , शिव भोले भंडारी
नीलकंठ हे महादेव तुम भोले भंडारी
जड़ चेतन के स्वामी तुम भोले भंडारी

महाशिवरात्रि का उत्सव है आया
शिव पार्वती के प्रेम का रंग है छाया
बारात चली भोले की, जग ये मुस्काया
गण सारे झूम रहे, क्षण अनुपम है आया
भोले भंडारी शिव भोले भंडारी……..

ढोल नगाड़े बज रहे , भोले की जयकार
कंठ पे है वासुकि , किया भस्म से श्रृंगार
शीश चंद्र विराज रहे , जटा विराजे गंग
रूप विरुप कैलाशपति ,देख नरनारी है दंग
भोले भंडारी शिव भोले भंडारी……..

कृष्णपक्षकी चतुर्दशी, फागुन ऋतुराज बसंत
भोलेशंकर का ब्याह रचा सुघड़ पार्वतीके संग
परिणयपर्व शिवशक्ति का ये ,छाई जग उमंग
सृजन सृष्टि है हो रही शिव गौरा जी के संग
भोले भंडारी शिव भोले भंडारी……..


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14 FEB AT 13:56


ऋतुराज आया है मनोहर
धरती पे छाई है रौनक़
मन बसंती हो गया है
माँ शारदे का रूप है मोहक

ऋतु शरद की आई विदाई
धरती माँ ले रही अंगड़ाई
पतझड़ का अब रुका सिलसिला
क्षितिज उत्तरायण सूर्य चल पड़ा

है पीतवर्ण शृंगार् धरा का
माँ शारदे ज्ञान प्रभा का
हस्त सुशोभित वीणा माँ के
ह्रदय प्रफुल्लित हुआ धरा का

वस्त्र पीताम्बरी किये है धारण
नव कोपल से करते स्वागत
माँ दे दो सृजन ज्ञान का अमृत
सयंम विवेक से हो पूर्ण मनोरथ

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21 JAN AT 17:41


अवध में आयें हैं श्री राम , अवध में लौट रहे श्री राम
सजीं हैं गलियाँ और मकान,गा रहे मिलके मंगलगान

दर्श को व्याकुल हैं जनमान, अब तो आये रे श्री राम
हुआ अब पूरा रे वनवास, मिला खोया अपना धाम

हुआ अब संघर्ष विराम, खिली हरमुख पे मुस्कान
दे रहा सेतु स्वयं प्रमाण, पधारें पुरुषोत्तम श्री राम

हस्त सोहे धनुष और बाण, चरनण में बजरंगी हनुमानl
किया सब दुष्टों का मर्दन , त्रिलोकी में गूँजे श्री राम

करते जन जन का कल्याण, पतित पावन मेरे श्री राम
हर सदन अब करे दीपदान, अवध में लौटें रहे श्री राम

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21 JAN AT 7:14

राम आयेंगे , सियाराम आयेंगे
मन में कर ले ध्यान बंदे
घर भी आयेंगे,राम आयेंगे , सियाराम आयेंगे

सजी है आज अयोध्या
श्री राम नाम से
भक्त हैं हर्षित सारे
श्री राम ध्यान से

माँ सीता के साथ भ्राता
लक्ष्मण भी आयेंगे
मन में कर ले ध्यान बंदे घर भी आयेंगे

किया अभिमान तो फिर
मान नहीं पायेगा
होगा प्यारे वही जो
श्री राम जी को भायेगा

जय जय श्री राम का
जो गान करता जायेगा
भवसागर के जाल से
वो मुक्ति सदा पायेगा

बहुत लंबी थी प्रतीक्षा
धाम अपने आयेंगे
धन्य धन्य हैं हम सारे
रामलला के दर्श पायेंगे

राम नाम के अमृत का
रसपान करते जाएँगे
धाम चले हम अयोध्या
जय जय श्री राम सब गाएँगे

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19 JAN AT 8:43

राम आयेंगे , सियाराम आयेंगे
मन में कर ले ध्यान बंदे
घर भी आयेंगे
राम आयेंगे , सियाराम आयेंगे

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18 JAN AT 8:34



करते जन जन का कल्याण, पतित पावन मेरे श्री राम
हर सदन अब करे दीपदान, अवध में लौटें रहे श्री राम

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