कह रही है पृथ्वी हमसे मुझ पर तुम विश्वास करो,
स्वयं की परवाह है अगर तो इस पृथ्वी का ख्याल रखो।
जिस ज़मीन से हो जुड़े उसका यूं ना तिरस्कार करो,
धरती हमारी माता है इसका सदैव सम्मान करो।
अपने व्यवहारिक जीवन में थोड़ा तुम सुधार करो,
अपनी सुविधाओं के चलते इस भूमि पर ना अत्याचार करो।
बीज बोकर तुम उसे विशाल वृक्ष का आकार तो दो,
आने वाली समस्याओं से खुद का तुम बचाव करो।
अटूट ज्ञान से भरी है सृष्टि उसका सही उपयोग करो,
ज़िम्मेदारीयों को समझ अपनी तुम उसका सही प्रयोग करो।
इस भूमि की लाज रखो यूं ना इसको बर्बाद करो,
यदि तनिक प्रेम है प्रकृति से तो भूलवश ना अपमान करो।
अपनी धरती माता का सदैव तुम सम्मान करो,
आने वाले सुखद भविष्य के लिए आज से तुम शुरुआत करो।
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