Harsh Shukla   (Shukla ji)
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Joined 30 September 2019


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14 DEC 2020 AT 22:15

वो छोड़ के गए हमें,
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी,
खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं,
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी.

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14 DEC 2020 AT 2:57

पहले पथरों पर भी नींद आ जाती थी हमें
रेशमी बिस्तर भी सताता हैअब हमें
करवट बदल गुजरती है हर रात अब मेरी
याद तेरी हर रात जगाती है अब हमें

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14 DEC 2020 AT 2:30

तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम,
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम,
मिटा देंगे खुद को भी जहाँ से लेकिन,
तेरा नाम दिल से न मिटा पायेगें हम..

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13 DEC 2020 AT 19:13

ढूंढता रहा मैं इश्क को दिल की गहराई में,
कमबख्त मिला तो सही दर्द में तन्हाई में।

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13 DEC 2020 AT 17:45

जिन शामों में तुझे भूलना चाहें
वही रातें अज़ाब होती हैं
अपनी यादों के सिलसिले रोको
मेरी नींदे खराब होती हैं

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13 DEC 2020 AT 9:51

तुम ने कहा था आँख भर के देख लिया करो,
अब आँख भर आती है पर तुम नजर नहीं आते​।

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13 DEC 2020 AT 0:08

चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही,
फिर ना वो तू, ना वो मैं, ना वो रात रही।

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12 DEC 2020 AT 20:59

ना वो सपना देखो जो टूट जाये,
ना वो हाथ थामो जो छुट जाये,
मत आने दो किसी को करीब इतना,
कि उससे दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये

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12 DEC 2020 AT 20:05

बिखरा वजूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ,
कितने हसीन तोहफे दे जाती है ये मोहब्बत।

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12 DEC 2020 AT 19:35

जाने लागे जब वो छोड़ के दामन मेरा,
टूटे हुए दिल ने एक हिमाक़त कर दी,
सोचा था कि छुपा लेंगे ग़म अपना,
मगर कमबख्त आँखों ने बगावत कर दी।

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