Harpreet Chhabra Arora   (ROOHDAARIYAN 🌹🌹)
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Joined 14 April 2021


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Joined 14 April 2021

I was young once.
To all my female friends from 40 years and up:
Most of us are going through the next phase of our lives.
We're at that age where we see wrinkles, gray hair, and extra pounds.
We have raised families,
run households,
paid the bills,
dealt with diseases,
sadness, and
everything else life has assigned us.
We are survivors.
We are warriors in the quiet.
We are women, like a classic car or a fine wine.
We shall all enter this chapter of our lives with humility,
grace, and pride over everything we have been through,
and we should never feel bad about getting older.
It's a privilege that is denied to so many.

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जिसने इश्क को मर्ज समझा
तो दर्द ही पाया है !!!
इश्क तो हैं इबादत रब की
जितनी गहरी, उतनी सुनहरी

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जो दूरियों के बावजूद भी
रूह से करीबी रिश्ता
निभाने का वादा करता हो----
तो समझो कि खुद--
"खुदा की रहमत "
हुई है जनाब आप पर----
"प्रीत का सफर "करे उसके संग
जो समर्थन दे, स्वछंद हो कर
और सुकून-ऐ-प्रीत मे हो मलंग!

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YESTERDAY AT 8:01

खुदा के चमकदार फैसलौ पर भरोसा तब हुआ
जब आप का साथ मेरी रूह से हुआ
मेहकने लगी रूह मेरी आपसे रूबरू होके
गुज़रे हुए सालो में "प्रीत का रंग " और भी गहरा हुआ

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1 MAY AT 12:41

कुछ भी ख़ास नहीं है मुझमें
पर फिर भी मुझे समझने वाले ख़ास होते हैं
जो रूह की जीस्त को पहचाने का जज़्बा रखते हैं
खामोशी की जुबान से नाता जोड़ लिया करते हैं
कभी मेरी बातों का सिलसिला खत्म होने लगे
तो खुद ही हुडदंग मचा कर बुला लेते हैं

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सबकी सूरतों को बदलते देखा है मैंने
मैं "आईना " हूँ कभी झूठ नहीं बोला करता
उम्र के हर पड़ाव का Eye witness हूँ मैं
मुझसे दोस्ती करोगे????

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30 APR AT 13:50

काश कोई ऐसा मिले जो कहे
कि तेरे दर्द मे
मुझे भी तकलीफ होती है

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30 APR AT 12:20

कभी-कभी खामोशी भी
एक नायाब दोस्त बन जाया करती है
अल्फ़ाज़ और लफ़्ज अक्सर एहसासों
को जब बयां न कर पाए
तो चुप्पी वाली दोस्त को ढूंढ लाया करती हूँ

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30 APR AT 7:58

बेखबर थी मै उनकी बईमानी बातो से
कब ग़लतफहमियों के जाल में फंस गई !!!!
काश खुदा के चंद इशारों को पहचाना होता
तो यूँ बेवजह विश्वास का आईना
टूट कर बिखरा न होता---

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29 APR AT 12:22

निहारा करते हैं वो ताजमहल को
वो भी किसी का "ताज-ऐ-इश्क " है
जरूरत नहीं है ऐलान-ए महोब्बत की
मेरा मेहबूब ही मेरा "सरताज" है
जिसकी रूहदारियो की चाँदनी मे
हम नूर-ऐ-रोशन हो रहे हैं ।

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