चलो अच्छा ही हुआ ,
जो तुम मुझे मिले ,
तुम मिले तो कुछ मिला ,
कुछ कुछ मैं खुद से मिला ,
कुछ दुनिया को जाना ,
कुछ तुम्हे है पाना ,
तुम्हे ख्वाबों में बसाकर नींद के आगोश में जाना ,
चलो अच्छा ही हुआ ...
चलो अच्छा ही हुआ जो तुम चले गए ,
तुम तो चले गए बिन बताए , मगर
एक तजुर्बा हुआ ,
जाने की वजह में उलझ कर हम तो रह गए ,उलझी सांसों के संग ,
मगर पहली दफा ,खुद को रोता देखा ,
आइने में अक्श धुंधला सा देखा ,
यू वक्त रुका सा देखा ,
खुद को " राही " हारा हुआ देखा ,
तुम्हे आने , जाने के दरमिया में ,
खुद को खुद से मिला हुआ देखा ,
खुद को किसी की यादों में रोते देखा ,
खुद को तड़पते हुए देखा ,
पहले सदमा लगा , फिर नगमा हुआ ,
खेर चलो अच्छा ही हुआ ,
जो भी हुआ अच्छा ही हुआ ...
-