गरिमा पोयाम😀😇   (Miss Garima Poyam😀😇)
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Joined 29 September 2018


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Joined 29 September 2018

मेहनत के साथ स्वस्थ मानसिकता और उत्तम विचारों की जरूरत होती है।

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संस्मरण
लेखिका:- कुमारी गरिमा पोयाम
कक्षा मुझे अच्छे से याद नहीं अरुण ( KG1) था,कक्षा पहली थी या तीसरी। 15 अगस्त का दिन था। हमारे विद्यालय में बहुत सारे कार्यक्रम हुए रैली निकाली गई और जैसा की हर विद्यालय में होता है हमारे विद्यालय में भी छुट्टी के वक़्त मिठाई बाँटी गई। मिठाई के पैकेट को मैंने संभाल कर रखा कि घर जाकर खाऊँगी।आज भी मुझे 15 अगस्त और 26 जनवरी की मिठाई का इंतजार होता है।खैर मुद्दे की बात पर आते हैं। तो जैसे ही मैं मिठाई लेकर घर पहुँची घर में कुछ मेहमान आए हुए थे और एक बच्ची भी उनके साथ आई हुई थी। मैं उन्हें देख मिठाई का पैकेट छिपाने लगी तो मम्मी समझ गए और उन्होंने वह मिठाई उस बच्ची के साथ बाँटने को कहा। मैंने उस बच्ची के साथ बेमन से मिठाई बाँटी और उनके जाने पर मम्मी के साथ लड़ाई करने लगी कि आपने मुझे मिठाई बाँटने को क्यूँ कहा। तो मम्मी ने समझाया जब हम कुछ खाते हैं और हमारे सामने कोई है तो हमें बाँट कर खाना चाहिए क्योंकि वे भी इंसान हैं उनका भी मन करता है दूसरे को देख खाने का और वो तो तुम्हारे जैसी ही छोटी बच्ची थी बेटा। वो सीख मुझे आज तक याद है और मैं कोशिश करती जो भी खाऊँ उसे आस पास के लोगों के साथ बाँट कर खाऊँ।
- कुमारी गरिमा पोयाम

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जब किसी को लम्बे समय तक सफलता नहीं मिलती तो लोग कहते हैं कब सफल होगे और जब कम उम्र में बहुत सारी उपलब्धियाँ हासिल हो जाए तो यही लोग कहते हैं कम समय में हासिल उपलब्धियों में महानता नहीं होती ऐसे लोगों के लिए एक सवाल
:- "आखिर कहना क्या चाहते हो?" 😂🤣😆😁

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कवयित्री:- कुमारी गरिमा पोयाम
विषय:- सरकारी स्कूल के बच्चे भाग:-21
वे गाते हैं, बजाते हैं।
स्वाभिमान गुरुर उनका,
बड़े मंचों से भी न घबराते हैं।
कभी खेलते खो, कबड्डी,
कभी सब्जी बेचने बाजार जाते हैं।
कड़ी धूप में भी खेलते मैदान में,
घर के सारे काम जानते हैं।
भाई-बहन के जान ये,
माँ -पिता के आँखों के तारे हैं।
कभी कर देते नाक में दम,
फिर भी शिक्षकों के प्यारे हैं।
जीवन की समस्या से ये,
कभी न घबराते हैं।
सरकारी स्कूल के बच्चे हैं साहब,
आसानी से कहाँ समझ आते हैं...।
-कुमारी गरिमा पोयाम

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🙏🙏आप सभी को 🙏🙏भगवान श्री राम🙏🙏 नवमीं की हार्दिक बधाई एवं आत्मिक शुभकामनाएँ।🙏🙏✨✨✨✨✨

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जादुई थैला भाग-4
लेखिका:- कुमारी गरिमा पोयाम
आज से बच्ची(स्वास्तिका) की तिमाही परीक्षा थी, वह परीक्षा देने जा ही रही थी तभी देखती है कि रास्ते में वह शैतान बच्ची (स्वरा) भी परीक्षा देने जा रही है। एक दिन पहले ही जमकर बारिश हुई थी तो सड़क के गड्ढे कीचड़ से भरे हुए थे।अचानक एक कार आती है और शैतान बच्ची को कीचड़ के छींटे मारते निकल जाती है। उसका ड्रेस और चेहरा कीचड़ से सन जाता है। स्वास्तिका उसे देख रही होती है और उससे छिपकर जादुई थैले से पानी की बोतल और नया ड्रेस निकालती है और शैतान बच्ची को देती है। स्वरा उससे पूछती है यह तुम्हारे पास कहाँ से आया। तो स्वास्तिका उसे कहती है। पास ही मेरा घर है तुम्हारी हालत देख मैं वहीं से लेकर आई हूँ। स्वरा का हृदय परिवर्तित हो जाता है। वह उसे धन्यवाद कहती है और पहले अपने द्वारा किए गए बुरे व्यवहार के लिए उससे क्षमा माँगती है। अब दोनों अच्छी सहेलियाँ बन जाती हैं, उनकी तिमाही परीक्षा अच्छी जाती है,अब उनका परीक्षा परिणाम आता है और वे दोनों देखती हैं कि...। -कुमारी गरिमा पोयाम— % &— % &

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कवयित्री:- कुमारी गरिमा पोयाम
विषय:- कलम (भाग-2)
मैं कलम हूँ,
हर कार्यालय की शान हूँ,
छात्रों की पहचान हूँ।
मुझसे लिखी गई कई किताब,
समझो तो मैं भी हूँ नायाब।
मोरपंख से हुई मेरी शुरुआत,
अब तो टाइपिंग से करते बात।
लेखकों के मन की बात लिख जाती,
शिक्षकों का सम्मान बन जाती।
हर वर्ग को उपलब्ध हूँ,
लिखती मैं ही हर शब्द हूँ।
मुझे बचाओ डिजिटल दुनिया में
खो न जाऊँ,
ऐसा करो विकास की सबके हाथों
में स्वयं को पाऊँ।
हाँ मेरा ही नाम कलम है,
पर आँखें आज मेरी नम है।
क्यूँ?
क्योंकि टाइपिंग का है जमाना,
मुश्किल लगता सबके हाथों में आना।
पत्र भी मुझसे लिखते कहाँ,
मोबाइल संदेश ही छाया यहाँ-वहाँ।
मेरी इच्छा हर हाथों में पाई जाऊँ,
हर किसी के काम मैं आऊँ।
विश्वास यही एक दिन हर हाथ में
आऊँगी,
अपनी प्राचीन पहचान मैं पाऊँगी...।
-कुमारी गरिमा पोयाम


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🙏🙏🙏🙏🙏

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जादुई थैला भाग-3 (कहानी)
लेखिका:- कुमारी गरिमा पोयाम
परी बच्ची से कहती है। सुनो बेटा इस थैले का उपयोग तुम हमेशा अच्छे काम के लिए करना अगर तुमने इसका दुरूपयोग किया तो इसकी जादुई शक्ति समाप्त हो जाएगी और हाँ तुम मुझे जब भी याद करोगी मैं तुम्हारे सपने में तुम्हें सलाह देने आ जाया करूँगी। ऐसा कहकर परी गायब हो जाती है। अब सुबह हो जाती है।बच्ची उठकर तैयार होकर स्कूल जाती है और जादुई थैले को अपने स्कूल बैग में रख लेती है।उस बच्ची के स्कूल में एक शैतान बच्ची थी जो उससे नफरत करती थी। आज उसके गाँव में बहुत जोरों की बारिश हुई। तो जैसे ही स्कूल की छुट्टी हुई वह बच्ची घर आ रही थी। तभी दूसरी शैतान बच्ची उसे कीचड़ में धक्का दे देती है। जिससे वह कीचड़ में गिर जाती है और कीचड़ कीचड़ हो जाती है।लेकिन उस शैतान बच्ची को कुछ न कहकर रोते हुए घर आ जाती है और अपनी दादी को सारी बात बताती है। उसकी दादी उससे कहती है कोई बात नहीं बेटा तुम बदले में उसके साथ बुरा मत करना देखना एक दिन वही तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त बन जाएगी। ऐसे ही दिन बितता जाता है।आज से बच्ची की तिमाही परीक्षा थी।आज वह परीक्षा देने जा रही थी तभी वह देखती है...। -कुमारी गरिमा पोयाम

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जादुई थैला,भाग:-2 (कहानी)
लेखिका:- कुमारी गरिमा पोयाम
वह बच्ची देखती है उसके टेबल पर वही थैला रखा है। जिसे उसे परी ने दिया था।वह बहुत खुश हो जाती है। वह सोचती है क्यूँ न देखा जाए जैसा परी ने बताया था कि ये थैला जादुई है, ये बात सच है की नहीं।उसकी दादी जी का चश्मा टूट गया था। तो वह सोचती है क्यूँ न थैले से दादी के लिए चश्मा निकाला जाए और वह जैसे ही थैले में हाथ डालती है। उसके हाथ में एक चश्मा आता है। उस चश्मे को वह अपनी दादी को देती है। उसकी दादी बहुत खुश हो जाती है। बच्ची को यकीन हो जाता है कि वह सिर्फ सपना नहीं था वह परी सच में परी थी।बच्ची का दिन बहुत अच्छा जाता है।रात को जब वह सोती है तो वह परी फिर उसके सपने में आती है और उससे कहती है...।
-कुमारी गरिमा पोयाम

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