तुझे पाकर मैं, तेरी इबादत कर लूंगा।
संभाल कर रखूंगा तुम्हें, तेरी हिफाजत कर लूंगा।।
हर किस्सा लिखूंगा , मैं तेरे लिए।
तुझे भी मैं अपनी कलम की, एक इबारत कर लूंगा।।
तू ही मिले बस मुझे, यही है आरजू मेरी।
तू सदा खुश रहना मेरे अंदर, मैं खुद को इमारत कर लूंगा।।
मोहब्बत होगी तुमसे, इतनी मुझे।
खुद को कर दूंगा हवाले तुम्हारे, तुझे मेरी आदत कर लूंगा।।
मैं पागल सा शायर हूं, लिखता हूं तेरे लिए।
अगर तुम मुझे ना मिले, तो खुद को मैं तेरे लिए जियारत कर लूंगा।।
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