Govind Gupta   (Govind Gupta)
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Joined 31 July 2018


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Joined 31 July 2018
13 DEC 2023 AT 23:35

यूं ही नहीं गुजरती जिंदगी जान लगानी
पड़ती हैं इसे गुजारने के लिए।
खुद की जिंदगी बेकार करनी पड़ती हैं
दूसरों की संवारने के लिए।

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10 DEC 2023 AT 8:03

कैसा होता हैं मोहब्बत का
सफ़र हमसे पूछो।
जिसे पाया भी नहीं उसे खोने
का डर हमसे पूछो।

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10 DEC 2023 AT 7:59

उसका किसी और के
साथ लगाव बनते देखा है।
अरे हमने मरहम को
घाव बनते देखा हैं।

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3 DEC 2023 AT 3:09

पता नही लोग कैसे
मोहब्बत बदल लेते हैं।
हमसे एक आदत नहीं
बदली जाती।

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3 DEC 2023 AT 3:03

चालक थी दुनिया लेकिन
हम में सादगी रही।
मोहब्बत जितनी भी मिली
सब कागज़ी रही।

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3 DEC 2023 AT 2:52

सुनते ही जिसकी आवाज़ हम
भाग आते थे शहरों से।
सुना हैं वो पायल निकाल
दी उसने पैरों से।

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3 DEC 2023 AT 2:43

मिले थे बहुत अरसे बाद उनसे
खामोशी उनकी निगाहों में थी।
हमारी बाहें खाली थी और
वो किसी की बाहों में थी।


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3 DEC 2023 AT 2:36

समझे जा रहे थे जिन्हें अपना
वो सभी जमाने वाले थे।
उन्ही हाथों ने डुबाया हमको
जो हाथ बचाने वाले थे।

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3 DEC 2023 AT 2:18

ताउम्र उसे देखने के लोगो ने
ख्वाब बनाएं होंगे।
बस इसी बात के चक्कर में
खुदा ने नक़ाब बनाएं होंगे।

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3 DEC 2023 AT 2:12

उसे लगता है कोई शख्स उसे
हमसे भी प्यारा मिलेगा।
और यही तलाश करते करते
वो हमसे दोबारा मिलेगा।

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