अधूरी मोहब्बत
रोज़ तेरा मरना, रोज़ ख़ुद पर सितम
दर्द से मोहब्बत ज्यादा, ख़ुद से मोहब्बत कम
छोड़ दे आदत, मेरे ज़िक्र की हर बात पर
पास नहीं मैं तेरे, पर फ़िक्र अब भी होती है
गुज़रा वक्त 'आज' बनता नहीं कभी भी
पर तू है अज़ीज़ अब भी, तेरी कद्र अब भी होती है
दर्द से दिल्लगी, मुफ़्त है गम के बाजार में
वफ़ा महंगी है यारों! इस इश्क़ के सौदे में
तेरी शिद्दत - तेरी मोहब्बत, तोड़े न मेरी ख़ामोशी
काफ़ी है साबित करने को, हूँ मैं बेहद पत्थर दिल
न ज़ाया कर वक्त मुझ पर, न अब मुझे याद कर
मैं भूली नहीं कुछ भी, कि क्यों हूँ मैं अब पत्थर दिल
दिल ही है बेचारा, नादानियां बार - बार करता है
चोट लगती है प्यार से, फिर भी प्यार करता है
न दे सजा ख़ुद को, न बना यादों को सलाखें
उम्रकैद इंसाफ नहीं, एकतरफा मोहब्बत के लिए
ना बन इतना दीवाना, ना भूल अपनी दुनिया
मैं बनी नहीं कभी भी, तेरी बेइंतहां चाहत के लिए
उस वक्त मेरी दीवानगी को, तेरी आवारगी मिली
अब मेरी आवारगी, तेरी दीवानगी चाहती नहीं
बिछड़ा प्यार लौट आए तो ज़ख्म ताज़ा करती है
घाव से भरे दिल की, याददाश्त अच्छी होती है
अब न कर इंतज़ार, वक्त में दफ़न प्यार का
टूटी कांच सी मोहब्बत, सिर्फ़ दर्द ज्यादा देती है
ज़िंदगी, गुज़रे 'कल' को थाम कर दौड़ती नहीं
'अधूरी मोहब्बत' कभी भी, पुराने अंदाज़ में लौटती नहीं (गीतिका चलाल) @geetikachalal04
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