आंखों में प्यार, वो दिल में फरेब रखता है
न जाने क्यूं?, तेरा इश्क़ अब बेईमान ज़्यादा लगता है
बातो में कसमें और बड़े वादे भी रखता है
वो उस यकीन से कहने वाला,मानो तजु़र्बा ज़्यादा रखता है
बातें मीठी ,वो होठों पे एक मुस्कान रखता है
तेरी दोस्ती दोस्ती कम ,कारोबार ज़्यादा लगता है
सुबह की चाय होने वाला प्यार,अब रात का अख़बार लगता है
गिरवी ईमान रख शायद,वो उम्मीदे ज़्यादा रखता है
वो करके एहसान, हिसाब बेहिसाब रखता है
उफ्फ ये मुलाविज़ सवाल तेरे, इंतिहान ज़्यादा लगता है
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