मैं जिंदगी को खुली किताबसमझकर पढ़ता रहा और वो कमबख्त हर पन्ने परनई पहेली बनकर आती रही। -
मैं जिंदगी को खुली किताबसमझकर पढ़ता रहा और वो कमबख्त हर पन्ने परनई पहेली बनकर आती रही।
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फलसफा जिंदगी का,जेब ने सीखा दिया..जितना शोर सिक्कों का रहाउतना सन्नाटा रिश्तों में रहा। -
फलसफा जिंदगी का,जेब ने सीखा दिया..जितना शोर सिक्कों का रहाउतना सन्नाटा रिश्तों में रहा।
जूता तो बस बहाना है,दर्द दिल में छुपाना है,राहों में मिले थे जो कांटे,उन्हें भी अपनाना है। -
जूता तो बस बहाना है,दर्द दिल में छुपाना है,राहों में मिले थे जो कांटे,उन्हें भी अपनाना है।
कुछ अरमान, कुछ ख्वाहिशें,दबी कुचली, जरूर पडी मिली होगी,जेब कमीज की मेरी जब धोने से पहले उसने टटोली होगी। -
कुछ अरमान, कुछ ख्वाहिशें,दबी कुचली, जरूर पडी मिली होगी,जेब कमीज की मेरी जब धोने से पहले उसने टटोली होगी।
कोई कह दे उनको दिल के पास,कलम को यूँ रखा ना करे.. फिरलफ्ज नशीले बनकर धड़कते हैऔर पढ़नेवाले बहक जाते है। -
कोई कह दे उनको दिल के पास,कलम को यूँ रखा ना करे.. फिरलफ्ज नशीले बनकर धड़कते हैऔर पढ़नेवाले बहक जाते है।
तुझे क्या पता तेरे इंतजार में कैसे वक़्त मैंने गुजारा है, ख़ुद को ही खो दिया और खुद को ही मैंने संवारा है,तेरी हिचकियाँ शायद तुझे बयां करे हाल-ए-दिल मेरा जाने कितनी दफ़ा दिन में तेरी तस्वीर को मैंने निहारा है। -
तुझे क्या पता तेरे इंतजार में कैसे वक़्त मैंने गुजारा है, ख़ुद को ही खो दिया और खुद को ही मैंने संवारा है,तेरी हिचकियाँ शायद तुझे बयां करे हाल-ए-दिल मेरा जाने कितनी दफ़ा दिन में तेरी तस्वीर को मैंने निहारा है।
जब अजनबी थे तो जान की अहमियत थी, अब जान बन गए तो जान भी ख़फ़ीफ़ है। -
जब अजनबी थे तो जान की अहमियत थी, अब जान बन गए तो जान भी ख़फ़ीफ़ है।
जरूरत हो तो लौट आना मेरे दोस्त..तुम खंजर ले आना, मैं बाहें खोल दूँगा। -
जरूरत हो तो लौट आना मेरे दोस्त..तुम खंजर ले आना, मैं बाहें खोल दूँगा।
बेहद करीब रहो और संभलकर बात की जाएं,लगता है उन्हें फ़रिश्ते की तलाश है। -
बेहद करीब रहो और संभलकर बात की जाएं,लगता है उन्हें फ़रिश्ते की तलाश है।
सोचा ना था कुछ ऐसा भी होगा..वो पलटेंगे नहीं और हम भी पुकारेंगे नहीं। -
सोचा ना था कुछ ऐसा भी होगा..वो पलटेंगे नहीं और हम भी पुकारेंगे नहीं।