If you are in corporate sector ,Your colleagues wish you on Friday "Happy weakend or enjoy your weekend" -
If you are in corporate sector ,Your colleagues wish you on Friday "Happy weakend or enjoy your weekend"
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मुझे घुमाया गया इक गली में, मेरी आँखो पर पट्टी बांधकर ।ये "उसकी" ही गली थी, मैं हजार बार कह रहा हूँ।। -
मुझे घुमाया गया इक गली में, मेरी आँखो पर पट्टी बांधकर ।ये "उसकी" ही गली थी, मैं हजार बार कह रहा हूँ।।
रास्तों में ,सड़कों पर पड़े गड्ढे सड़क को ही तोड़कर खुद को भरने का प्रयास करते है । -
रास्तों में ,सड़कों पर पड़े गड्ढे सड़क को ही तोड़कर खुद को भरने का प्रयास करते है ।
जिस तरह "वर्णमाला" 'स्वर और व्यंजन'से मिलकर बना है ठीक उसी प्रकार ये "संसार" भी 'स्त्री और पुरुषों' से मिलकर बना है जिसमे स्वर स्त्रियां तो पुरुष व्यंजन होते है जिनका स्वर के बिना अस्तित्व असम्भव सा लगता है -
जिस तरह "वर्णमाला" 'स्वर और व्यंजन'से मिलकर बना है ठीक उसी प्रकार ये "संसार" भी 'स्त्री और पुरुषों' से मिलकर बना है जिसमे स्वर स्त्रियां तो पुरुष व्यंजन होते है जिनका स्वर के बिना अस्तित्व असम्भव सा लगता है
इक सफ़र में है निकलासफ़र मेरा अनेक मुश्किलो में घिरा तन्हाअपने हमसफ़र को ढूंढने है निकलासफ़र मेरा रास्ते मे चलता सोचता, डरता ,निहारता और पूछता सफ़र मेरा ना जाने कैसा होगा हमसफ़र मेरा अकेला ही रह गया वो सफ़र बिन हमसफ़र के फिर भी सोचता रहा अच्छा ही रहा होगा सफर मेरा -
इक सफ़र में है निकलासफ़र मेरा अनेक मुश्किलो में घिरा तन्हाअपने हमसफ़र को ढूंढने है निकलासफ़र मेरा रास्ते मे चलता सोचता, डरता ,निहारता और पूछता सफ़र मेरा ना जाने कैसा होगा हमसफ़र मेरा अकेला ही रह गया वो सफ़र बिन हमसफ़र के फिर भी सोचता रहा अच्छा ही रहा होगा सफर मेरा
हम आजाद थे फिर भी आजादी के लिए लड़ रहे थे (Full read in caption) -
हम आजाद थे फिर भी आजादी के लिए लड़ रहे थे (Full read in caption)
बीमारी लेती हुई महामारी का रूप चारो तरफ मौत का आलम तन्हाई भरा माहौल रात में रोते हुए कुत्तो की आवाजें इन सब के बीच फंसामैं आधा मर चुका हूँ जिंदा हूँ तो सिर्फ माँ की दुवाओ से या अपनो के प्यार के सहारेबैशाखी लेकर मैं चल रहा हूँ -
बीमारी लेती हुई महामारी का रूप चारो तरफ मौत का आलम तन्हाई भरा माहौल रात में रोते हुए कुत्तो की आवाजें इन सब के बीच फंसामैं आधा मर चुका हूँ जिंदा हूँ तो सिर्फ माँ की दुवाओ से या अपनो के प्यार के सहारेबैशाखी लेकर मैं चल रहा हूँ
जीवन की मधुशाला में ,मैं पी रहा था प्रेम की मदिरामदिरा मय होकर मैं जी रहा था जीवन इकहोश न था ,न पाँव जमीं पर फिर भी पिये जा रहा था मदिरामैं -
जीवन की मधुशाला में ,मैं पी रहा था प्रेम की मदिरामदिरा मय होकर मैं जी रहा था जीवन इकहोश न था ,न पाँव जमीं पर फिर भी पिये जा रहा था मदिरामैं
बस में'सामने वाली सीट पे बैठी वो अपनी पलकें झपकाती रही और मैं बस उसे देखता रहा। -
बस में'सामने वाली सीट पे बैठी वो अपनी पलकें झपकाती रही और मैं बस उसे देखता रहा।
वो कहती थी ना लिखा करो दर्द भरे गीत किसी के लियेना लिखा करो तन्हाई में गुजारी गयी रात किसी के लिए लिखा करो बस दो पंक्तियाँ जिसमें हो संयोग श्रृंगार रस जहां हो दो आत्माओका प्रेम मिलन और उसे पढ़ती मैं बस मुस्कुराते जाऊंऔर उस दिन की प्रतीक्षा में अपने क्षण काटती जाऊंजब मेरी आत्मातुम्हारे द्वारा लिखित सयोंग श्रृंगार रस से भरे गीतों को पढ़ते तुम्हारा इंतजार कर रही होगी । -
वो कहती थी ना लिखा करो दर्द भरे गीत किसी के लियेना लिखा करो तन्हाई में गुजारी गयी रात किसी के लिए लिखा करो बस दो पंक्तियाँ जिसमें हो संयोग श्रृंगार रस जहां हो दो आत्माओका प्रेम मिलन और उसे पढ़ती मैं बस मुस्कुराते जाऊंऔर उस दिन की प्रतीक्षा में अपने क्षण काटती जाऊंजब मेरी आत्मातुम्हारे द्वारा लिखित सयोंग श्रृंगार रस से भरे गीतों को पढ़ते तुम्हारा इंतजार कर रही होगी ।