ये लडाई इतनी आसन नहीं थी,
बास एक इरदा था,
धा हुआ,,
चाहे ईद हो, या दीवाली,,
चांद हो या रमज़ान, सरहद पार करना है,,
इरादा तो बस इतना है, इस महान देश को,,
गणतंत्र करना है..!!
कभी आसु आ जाते हैं,ये सोच कर,,
ना जाने कितने टुकरो में जी रही थी,लोगो की ज़िंदगी,,
कहीं बाप हिंदुस्तान में, कहि मां पाकिस्तान में,,
ना जाने कितने खून बहे, बटवारे की मांग में,,
फिर भी लड़ाई जारी रही,और कुछ महान शहीद होते रहे,,
अखिर में जीत ये महान देश का हुआ,और फिर ये गणतंत्र हुआ..!!
अब कर रही हु शुक्रिया,जो इंसान वादा को निभाना ,,
और देश आजाद दिलायी...!!— % &
-