Dr. Gopal Sahu  
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Joined 19 September 2019


Joined 19 September 2019
16 APR AT 17:37


"तेरी मोम सी मोहब्ब्त में..."
रौशन है जहां मुझसे, मैं रौशनी का मोहताज हूं l
तेरी मोम सी मोहब्बत में जलता हुआ चराग़ हूं ।।

दाग़दार महफ़िल में , मैं अकेला खड़ा बेदाग हूं ।
जीवन के इस कठिन दौर में,अटल सा वैराग हूं ।।

मुझे सिना है ज़ख्मों को, तेरे दर्द के कांटों से ।
क्योंकि तेरे कांटों में, खिले फूल सा पराग हूं।।

भूल है तेरी जो तू जहनूम को जन्नत समझ रही है।
चार कदम चली नहीं, की ज़मीं को आसमां समझ रही है।।

वक्त है आज तेरा तो कल किसी और का होगा।
यकीनन, गम के अंधेरों से दूर जहान रौशन होगा।।

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15 OCT 2023 AT 0:47

तेरे दिए वो खत आज भी मेरे ज़ेहन में है।
दर्द के थे दो शब्द जो आज भी मेरे बदन में है।।

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8 OCT 2023 AT 4:03

यादें बरसती है जब मन का बादल उमड़ता है
बदन भींगे या ना भींगे पर मन तर्पित हो जाता है

कभी साहिल से ना पूछो दर्द समंदर का कैसा होता है
आंसुओं की कीमत समझे वो जो तन्हाई में रोता है

गर! वक्त हो बुरा तो पैर का धूल सिर चढ़ जाता है
भटके मुसाफ़िर से ना पूछो पांव के छाले क्या होता है

गम के साए में जिंदगी मौत से भी बत्तर लगता है
रिश्ते का एहमियत वो क्या जाने जो खिलौनों से खेलता है

पतझर के मौसम में अक्सर उपवन - उदास ही रहता है
वो दिन दूर नहीं जब तरु फल -फूलों से भी लद जाता है

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5 OCT 2023 AT 1:10

यादें बरसती है जब मन का बादल उमड़ता है
घट भड़े या ना भड़े पर मन तर्पित हो जाता है

गर्दिश में हो सितारे तो सर -ए- आम डर लगता है
गम के साए में जिंदगी मौत से भी बत्तर लगता है

गर! गुगुर हो सौहरत का तो अंजाम बुरा होता है
दौलत के नशे में इंसा खुद का वजूद भूल जाता है

साहिल से ना पूछो दर्द समंदर का ये कैसा होता है
आंसुओं की कीमत समझे वो जो तन्हाई में रोता है

पतझर के मौसम में अक्सर उपवन उदास रहता है
वो दिन दूर नहीं जब तरु फल -फूलों से लद जाता है

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29 SEP 2023 AT 10:31

नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान सजने लगी है
जिस्म के खरीदारों को इश्क की आदत भी लगने लगी है

खुदरे की क्या औकात अब तो थोक में प्यार बिकने लगी है
खाली होते ही जेब यारों अप्सराएं भी चुड़ैल लगने लगी है

वगैर पंख सपने को उड़न दी तो चाहत फरफराने लगी है
पैसों से ही बनते - बिगड़ते रिश्ते , ये बात समझ आने लगी है

खलिश ने दी दस्तक जबसे , रिश्तों की दीवारें दरकने लगी है
प्यासे है हम एकदूजे के इतना की खून की नदियां बहने लगी है

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18 SEP 2023 AT 9:02

रिश्तों में फासला ...
वो दौर था कुछ अलग जब पूरी कायनात करबला था
मै मुर्दों में ढूंढता रहा जिंदगी जब रिश्तों में फासला था

उजाले की चाहत में, लड़ता रहा जिंदगी भर अंधेरों से
यूँ ही वक्त की चाहत ने बेहतर बना दिया रिश्ता गैरों से

माना की मौत बेहतर था जिंदगी से दिल टूटने पर
जनाब गम - ए - सैलाब भी आया था उम्मीद टूटने पर

घुटन महसूस होने लगी जब सांसों पे लगा पहरा था
मौत खड़ी थी चौखट पे मगर मेरा बुलंद हौसला था

उड़ गया पंछी जब तन से तो खाली पड़ा घोसला था
मन निहारता रहा खुबशुरत बदन को जो अधजला था

वो दौर था कुछ अलग जब पूरी कायनात करबला था
मै मुर्दों में ढूंढता रहा जिंदगी जब रिश्तों में फासला था

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11 JUL 2023 AT 14:20

तुम से दूर रहकर जीने की जिद कर रहा हूँ ।
ये कैसा मोहब्बत जो तिल - तिल कर मर रहा हूँ ।।

ना वक्त है तेरे ख़ैर में आज , ना वक्त है मेरे ख़ैर में ।
उल्फत सिर चढ़ा इस कदर की खुद से लड़ रहा हूँ ।।

दोष नहीं मेरे मुफलिसी का , ना दोष तेरे रईसाने का ।
वक्त की नजाकत कुछ ऐसा जो किस्मत पर रो रहा हूँ ।।

ऊँचा है कद्र तेरा , तेरे चाहने वालों के दरमियान ।
मगर! मै नाकामयाबी के वजह से पिछड़ रहा हूँ ।।

टूटने की जिद है इतना की रोज बिखर रहा हूँ ।
ये कैसा मोहब्बत जो तिल - तिल कर मर रहा हूँ ।।

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9 JUL 2023 AT 12:40

ख्वाहिश थी की मिले मौत खुशनुमा सा ।
मगर बहते अश्कों ने समंदर बना दिया ।।
जरूरत नहीं पड़ी छह गज जमीन की ।
तूने तो मेरे अंदर ही मुझे दफना दिया ।।

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28 MAY 2023 AT 21:34

वक्त की नजाकत समझते , छूट रहा था सांस मेरा ।
जल रही थी ताबे की रोटी , तड़प रहा था भूख मेरा ।।

दफ़न हुए अरमान तो होता रहा हृदय अश्किया मेरा ।
सुपुर्द-ए-ख़ाक होते रहे तो जलता रहा आशियाँ मेरा ।।

किया यकीन जिसपर , उसीने तोड़ा ईमान मेरा ।
दर्द में ढाढ़स बढ़ाने वाले , लुटता रहा मकान मेरा ।।

जब अपने हुए पराये तो जागने लगा ज़मीर मेरा ।
हर रिश्ते की होती कीमत, कहता रहा फकीर मेरा ।।

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7 APR 2023 AT 7:49

When life confuses you, don't lose your patience.
In the bottom of sorrow, trying is your best defence.

Your Soul power doth not permit to raise voilence.
And inner voice always preaches to spread fragrance.


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