Divyanshi Bairwa....   (Divyanshi Bairwa)
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Joined 10 February 2020


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Joined 10 February 2020
5 APR AT 20:55

That happiness when your
Hardwork pays of.👇

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5 APR AT 20:49

Me when I score well in my exams.👇

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5 APR AT 20:39

Nervous Me typing my roll no. to check result.👇

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5 APR AT 20:35

Me when result date is announced.👇

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5 APR AT 20:27

Me while waiting for my semester exam result 👇

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15 FEB AT 14:56

Keep all the roses in between us.
Without plucking a single one,
Let the fragrance of your presence
come in my life and mine in yours...

Let's live a story which starts
with "I" and end's with "you"
and fill the empty space with
Unspoken words....

The sweetness and the laughter,
The pleasure and the happiness.
Everything may stay with us
always and forever....

Some gifts of your are still with me,
Our first meet along with memories and glee.
I hope you feel the same as
me,The way I think,the way you see.

Let's do a promise to love and
cherish each other till the infinity.
strengthen our bond and
support in difficulties.

As we have came a long way.
A truth is there which I should say,
You have became my comfort zone,
You are the one on whom I rely.

Now seal our love,with an honest bond
Let two soul meet, and heal our wounds.
I think we have waited a long way round.
It's time to live a love profound.

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5 FEB AT 0:42

मेरी बदकिस्मती का
पुख्ता सबूत है ये पल।
के उसके इतना करीब होने पर भी
मिलना मुनासिब ना हुआ।
जिसके इंतज़ार में बिताया था
हर पल बेसबरी से,वो आया भी तो
उसका दीदार ना हुआ।
अश्क गवा हैं,कितना दर्द हुआ उस पल,
जिस पल में हम मिलते-मिलते रह गए।
एक इल्तिज़ा थी की ख़त्म हो अब ये फांसले
मगर बरसों की वो ख्वाहिश का भी
मुलम्मल होना कहां हुआ।
मेरी बदकिस्मती का पुख्ता सबूत है ये पल।
के उसके इतना करीब होने पर भी
मिलना मुनासिब ना हुआ।

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31 JAN AT 19:26

कभी तो दुआएं मुकम्मल होगी
कभी तो ख्वाहिशें पूरी होगी
शाम के साए तले,एक झील किनारे(×2)
कभी तो इंतजार की घड़ी ख़त्म होगी।
यकीन का हाथ पकड़ कर,उम्मीद के सहारे।(×2)
नज़रों को तुम्हारी तलाश होगी।
कभी तो ऐसी शाम होगी,
कभी तो ऐसी शाम होगी।

हवाओ का रुख कुछ अलग सा होगा,
तुम देखना वो दिन सच मे बेहद ख़ास सा होगा।
जब मिलेंगे इशारे तकदीर के हमदम।(×2)
मिलने का वो दिन भी लाज़वाब सा होगा।
किस्मत ने जो रखा अब तक दूर हमें(×2),
इस बात का भी तब हिसाब होगा।
मै हाथ बढ़ाऊं तुम साथ देना,
ये सफ़र भी फिर आसान होगा,
ये सफ़र भी फिर आसान होगा।

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29 JAN AT 10:46

एक जाना पहचाना सा शहर है।
जिसमें अनजाने से हैं लोग,
कुछ चेहरे हैं जिन्हे पहचानती है आँखे।
कुछ लोग हैं अजीज़ जिनका मिलना मानो संजोग,

वो शख्स जो सबसे खास है,उसका आना जैसे
खुशियों का आगाज़ है।
जिसकी गैर मौजूदगी में पूरा शहर लगे वीरान सा,
और मौजूदगी में हर पल सुर और साज़ है।

वो बंद किताब में रखे फूल सा है।
वो नए जमाने में मानो खत सा है,
उसके बारे में और क्या ही कहना।
वो तंग रातों में सुकून सा है।

शाम-ओ-सहर,जिसका खयाल,ज़हन से ना जा सके,
जिसके आने की आहट,ये दिल पहचान सके।
वो बातें करे तो बस सुनने को जी चाहे,
वो ख़ामोश रहे तो जैसे वक्त थम जाए।

वो जो एक वक्त पहले मिला था कभी।
अब मिले तो लगता है कुछ नया सा है,
अलग है थोड़ा अजब भी है।
वो शायरी,वो ग़ज़ल,वो ही कविता का आधार भी है।

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17 OCT 2023 AT 23:18

कोई "मुस्कुराहट"
कितनी ख़ास हो सकती है?
सूर्य की पहली किरण जैसी
या धूप में नर्म-छाओं जैसी।
शांत,सुंदर सूर्यास्त जैसी या
मनमोहक महताब जैसी।
जिसे देखें तो लगे के वक्त जैसे,
पल दो पल के लिए थम गया हो।
कोई फूल बंजर ज़मीन पर भी
खूबसूरती से खिल गया हो।
कोई "मुस्कुराहट"
किसी के जीने की वजह हो सकती है।
एक उम्मीद,एक सहारा और
एक पूरा "आसमां" हो सकती है।
वो मुस्कुराते चहरे,शायद ख़ुद
भी नही जानते,की उनकी मुसकुराहट,
आखिर कितनी ख़ास हो सकती है।

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