Divya tannu   (दिव्या)
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Joined 2 June 2020


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9 MAR AT 3:07

शून्यता भी शिवम
अनंता भी शिवम
अर्धनारीश्वर भी शिवम
कालभैरव भी शिवम
रिकत्ता से पूर्णंता
सब ही सत्यम शिवम सुंदरम

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22 JAN AT 14:25

त्रेतायुग से कलयुग आये पर जिसका नाम ना हम बिसराये वो "राम" कहाये
जीवन जिसका पल -पल त्रासदी फिर भी मुखमंडल पर हो गहरी शांति तभी तो मर्यादापुरूषोत्म वो "राम" कहाये
11000 वर्षो के पहले की भी ये सारी बातें पर आज भी जन्म से मृत्यु तक लेते जिनका नाम वही तो "राम" कहाये
आज भारतवर्ष के घर-घर गूंजा जिनका नाम है वही तो "राम" कहाये
राम की धरती फिर आज राममय हो उनके आदर्शो से सीख पाये तभी तो यथार्थ में वो "राम" कहाये।

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22 JAN AT 14:17

त्रेतायुग से कलयुग आये पर जिसका नाम ना हम बिसराये वो "राम" कहाये
जीवन जिसका पल -पल त्रासदी फिर भी मुखमंडल पर हो गहरी शांति तभी तो मर्यादापुरूषोत्म वो "राम" कहाये
11000 वर्षो के पहले की भी ये सारी बातें पर आज भी जन्म से मृत्यु तक लेते जिनका नाम वही तो "राम" कहाये
आज भारतवर्ष के घर-घर गूंजा जिनका नाम है वही तो "राम" कहाये
राम की धरती फिर आज राममय हो उनके आदर्शो से सीख पाये तभी तो यथार्थ में वो "राम" कहाये।

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12 NOV 2023 AT 8:48

मिट्टी के दीपों की लड़ी है दीपावली
अपने के प्यार का मिठास बढ़ाती दीपावली
रंगोली के रंगो सा जीवन रंगीन बनाती दीपावली
शरद ॠतु के आगमन को ऊर्जावान धमाकेदार बनाती रोशनी से सजाती ये दीपावली

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23 AUG 2023 AT 18:58

तेरी सफलता ने विश्व पटल पर अपना परचम हैं लहराया
चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर विश्व में सर्वप्रथम अपना तिरंगा हैं लहराया
असफलता के आँसुओं को,
ISRO के महान वैज्ञानिकों के सतत प्रयास से सफ़लता का नया कीर्तिमान हैं दोहराया।

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19 MAY 2023 AT 19:52

जा के इस वट वृक्ष के पास लगता
जैसे सुना रहा सदियों की दास्तां
लपेटे हो खुद में जैसे कितने क़िस्से कहानियाँ
जैसे कर रहा हो दर्द बयां
कि देख लो मैं हुँ यहाँ सदियों से खड़ा
पर न जाने कब दफ़्न हो जाऊ यहाँ
न जाने कब नीवं हो जाऊ ऊँचे-ऊँचे कंक्रीट के दिवारो का
आने वाले पीढ़ियों को फिर कंप्यूटर में यह दृश्य दिखा
कहना कि होता था एक वृक्ष अत्यंत घना
जड़े जिसकी छूती थी धरा
धार्मिक आस्था से था जुड़ा
कहते थे बह्म विष्णु महेश का वास था यहाँ
हर तरह के औषधीय गुण से था भरा
AC कूलर न करे वो, जो इसके शीतल छाया में था मजा
पर विलुप्त हो गया ,हमारे लालचो के भार तले ये भी दबता चला गया...दबता चला गया।

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8 MAR 2023 AT 10:16

बंसत के आगमन से खिले
वातावरण से कुछ रंग चुरा लूं
आंनद से, उल्लास से भरे रंग लगा दूँ

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14 FEB 2023 AT 22:38

देख कर देशभक्ति फिल्म ,
जब रोंगटे खड़े होते
सोच से भी परे लगता,
क्या फ़ौलादी सीने होते
जो बेखौफ सीमा पर डटे होते
वो भी क्या देशभक्ति है की
जान हथेली रखकर हरदम डटे होते
चाहे वो 1962 हो 1971 हो 1999 या हो 2019
बस उनके लिए तो तारीखें बदले होते
करते है सभी देशभक्तों को नमन
जो इस स्वार्थी दुनिया में समर्पण
का अतुल्यनीय साहस रखते।

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14 FEB 2023 AT 20:11

देख कर देशभक्ति फिल्म ,
जब रोंगटे खड़े होते
सोच से भी परे लगता,
क्या फ़ौलादी सीने होते
जो बेखौफ सीमा पर डटे होते
वो भी क्या देशभक्ति है की
जान हथेली रखकर हरदम डटे होते
चाहे वो 1962 हो 1971 हो या 1999
बस उनके लिए तो तारीखें बदले होते
करते है सभी देशभक्तों को नमन
जो इस स्वार्थी दुनिया में समर्पण
का अतुल्यनीय साहस रखते।

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14 FEB 2023 AT 20:10

देख कर देशभक्ति फिल्म ,
जब रोंगटे खड़े होते
सोच से भी परे लगता,
क्या फ़ौलादी सीने होते
जो बेखौफ सीमा पर डटे होते
वो भी क्या देशभक्ति है की
जान हथेली रखकर हरदम डटे होते
चाहे वो 1962 हो 1971 हो या 1999
बस उनके लिए तो तारीखें बदले होते
करते है सभी देशभक्तों को नमन
जो इस स्वार्थी दुनिया में समर्पण
का अतुल्यनीय साहस रखते।

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