Divya Rathore   (DsR :))
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Joined 12 May 2017


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Joined 12 May 2017
10 APR 2020 AT 16:17

इस भीड़ मे भी अकेलापन महसूस होता है...

अपनों से दूर होना मुश्किल है,
उनकी जैसी पन्हा कोई कहाँ दे पाएगा,

फिर आता है ज़िंदगी का मकसद,
आँखों की चमक से ही हज़ारो सपने दिखते है,
सपनो से एक मुलाकात, और वो हमारे पास
मगर ये बोलने जितना आसान कहा है,
की मानो एक भी पूरा ना हुआ,
तो जैसे ज़िन्दगी का ख़ास एहम हिस्सा बेज़ान सा हो जाएगा,
कुछ अधूरा सा रह जाएगा,

इस दो पहलु क बीच की ज़िंदगी का क्या ही रुख है ,
कहीं जान है तो कहीं रूह है,
जो शब्दो से बयान ना हो वो मेरी ज़िन्दगी है ,
जहां दिल में अधूरापन सा हो वो मेरी ज़िन्दगी है
जिसकी गलियां सूनसान है ,
कदमो को अलग ही आस है ,
वो मेरी जिंदगी है।

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30 JAN 2020 AT 1:16

इस धरती पे आकर मैने गुनहा किया है,
क्यूँकि,
इतने साल मैने खाया पिया और मॉज किया है।

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27 JAN 2020 AT 10:04

ज़िंदगी है, जीना है,
चलना है, गिरना है,
खड़े होकर,
फिर सपना देख कर
उसको पूरा करना है।

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24 JAN 2020 AT 15:40

आज एक सपना आया,
उसने पूछा नींदो मे हि आउ
या हक़िक़त मे भी लाओगे कभी ?

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22 JAN 2020 AT 0:29

Dreams are wide,
Burn oil every night.

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20 JAN 2020 AT 18:28

कुछ कहाँनियों के अंत ऐसे होते है जिनको सोच कर पछतावा होता है।
पछतावा इस बात का नहीं है क्योंकि वो खत्म हुई ,
पछतावा तो इस बात का है कि वो शुरू ही क्यों हुई!

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11 JAN 2020 AT 8:34

Cc cc

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7 JAN 2020 AT 10:47

ज़िंदगी में भरोसा सिर्फ एक पे किया,
हज़ार बार उसको भी तुमने तोड़ दिया,
और हिम्मत नहीं कि भरोसा कर सके हम,
क्या खूब होगा अगर अपने रास्ते बदल ले हम?

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31 DEC 2019 AT 17:56

नई साल पे कुछ नए की आश है,
जो काम पहले न कर सके
वो भी करने के फिरात हैं,
अतीत रहा काफी अच्छा,
अब भविष्य की शुरूआत है।

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25 DEC 2019 AT 7:41

ज़िंदगी जीने का अपना अलग ही नशा है,
कभी ख़ुशी मे मज़ा है,
तो कभी दुःख मे सजा़ है।

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