Dipti Pharswan   (Dipti pharswan)
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Joined 26 November 2020


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18 JAN 2023 AT 14:54

जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, हमारी जिंदगी में महत्वपूर्ण चीजों के मायने बदलते जाते हैं । जिंदगी के एक पड़ाव पर जो चीजें हमें सबसे ज्यादा अजीज़ थी, जिसके बिना शायद जीवन अधूरा सा लगता था। अगले ही पड़ाव पर वही चीजें महत्वहीन हो जाती है। और यही जिंदगी का दस्तूर है ।क्योंकि उम्र बढ़ने व समय बीतने के साथ व्यक्ति को समझ आता है, कि छोटी -छोटी चीजों को अपने लिए बहुत महत्वपूर्ण बना देना केवल बचपना मात्र है। क्योंकि एक समय के बाद वही महत्वपूर्ण चीजें व्यर्थ लगने लगती है। जैसे बचपन में एक छोटे बच्चे को अपने खिलौने से बेहद लगाव होता है वह उसके लिए बहुत रोता है। सभी लोगों से लड़ता है , झगड़ता है ।लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है ,उसके लिए वह खिलौना महत्वहीन हो जाता है। इसीलिए मनुष्य को चाहिए ,कि वह किसी भी व्यक्ति या वस्तु को इतना भी अधिक महत्व ना दे कि उसके चले जाने पर जीवन अकल्पनीय लगने लगे ।जो पीछे छूट चुका है, उसे छोड़ दें ।और जो सामने है उसे पूरे दिल से स्वीकार करें।

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16 JAN 2023 AT 17:37

कभी कबार होने वाली घटनाएं
अक्सर सुकून भरी होती हैं ।
जैसे कभी कबार किसी अपने से बात,
या किसी खास से मुलाकात।
हो ना हो तुम्हारा पूरा दिन बना देती है ।
और ये खास यदि तुम्हारा कोई पुराना दोस्त हो,
तो एक पल में ही सारी की सारी पुरानी यादें
ताजा हो जाती हैं ।
सच में दोस्ती कुछ ऐसी ही होती है ।
चाहे दूरियां कितनी भी क्यों ना हो ,
या बात किए बिना,
एक लंबा अरसा क्यों ना हो गया हो ।
लेकिन जब दोबारा बातें होती हैं ,
तो पुरानी जैसी ही होती हैं।

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17 DEC 2022 AT 20:50

कभी हम किसी से रूठ जाते हैं
कभी कोई हमसे रूठ जाता है ।
इस रूठने मनाने की जिद में ,
कोई कहां रिश्ते निभा पाता है ।

बुरा सभी को लगता है ,
दिल सभी का दुखता है ।
पर दिल में उमड़ रहे भावों को
कोई कहां शब्दों में बयां कर पाता है ।

हर शख्स बाहर से खुश दिखता है ,
पर अंदर ही अंदर रोता रहता है ।
पर किसी की मुस्कुराहट के पीछे के गम को ,
कहां कोई समझ पाता है ।

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10 DEC 2022 AT 21:56

बहुत सी बातें इसीलिए भी अनकही रह जाती है
क्योंकि उन्हें समझने वाला कोई इंसान नही होता।

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29 NOV 2022 AT 20:20

मनुष्य प्रतिक्षण दूसरों से अधिक
बेहतरीन बनने की जिद में ,
उस बेहतर इंसान को खो देता है
जो उसके अंदर मौजूद होता है।
और जब तक वह इस सच्चाई से रूबरू होता है।
तब तक वह बद से भी बदतर बन जाता है।
मनुष्य को चाहिए कि वह दिन प्रतिदिन,
खुद से बेहतर बनने का प्रयास करे।
ना कि दूसरों से।
क्योंकि खुद से बेहतर बनना ही
बेहतरीन बनने की ओर अग्रसर होना है।

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19 NOV 2022 AT 18:06


पुरुष खुलकर रो नहीं सकते ,
और महिलाएं खुलकर हंस नहीं सकती।
समाज की ये कैसी सोच है,
जो महिला और पुरुष में इतना फर्क करती।

यहां, यदि कठोरता है पुरुषत्व की निशानी,
तो कोमल हो महिला की वाणी।
दरकिनार किया है इस समाज ने उसे,
जिसने भी ये रीत ना मानी ।

हां ,ये समाज नही ये पिंजरा है।
जिस पर नियमों का पहरा है ।
जो इन नियमों में बंध गया,
वही समाज का चेहरा है।

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18 NOV 2022 AT 10:40

जिंदगी की किताब में ,
एक पन्ना इश्क के नाम होगा ।
गर ढूंढना चाहो उस पन्ने को तो ,
तुम्हें पूरी किताब को पढ़ना होगा।
पूरी किताब पढ़ने के बाद भी,
गर तुम्हारी तलाश अधूरी रह जाए ,
और तुम उस पन्ने को ना ढूंढ पाए,
तो समझ लेना मेरे यार !
तुम कभी इश्क की भाषा ही नहीं पढ़ पाए ।
और आखिर में बेहद कोशिश के बाद,
होकर हताश और निराश ,
जब तुम अंतिम पन्ने पर पंहुचोगे
तो तुम्हें दिखेगा एक शब्द रहित कोरा पन्ना,
जिसे भरना है तुम्हें अपनी कलम से ,
और तुम्हारी कलम को शब्द देंगे मेरी भावनाएं।
तब जाकर तुम्हारे और मेरे बीच ,
इस एक पन्ने की दूरी खत्म होगी।
और मेरी जिंदगी की ये अधूरी किताब पूरी होगी।

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6 NOV 2022 AT 21:16

अक्सर मेरे साथ ऐसा क्यों होता है ,
कि सालों बीत जाते हैं, उस कल के इंतजार में,
जिस कल में मैंने अपने जीवन को ,
एक नया मोड़ देने की योजना बनाई थी।
जिस कल में मैंने एक बार फिर से ,
एक नए सिरे से कोशिश कर,
सब कुछ शुरू से शुरू करने की ठानी थी।
जिस कल में मैंने खुद को ,
और बेहतर बनाने की ठानी थी ।
किंतु समय के साथ मैंने जाना कि,
इस कल के इंतजार में मैंने अपने आज को गंवाया है।
वह कल जिसका मैं इंतजार हर बार करती रहती हूं।
वह हर बार गुजर जाता है ,
बिना किसी आहट के मेरे बेहद करीब से।
और मैं हर बार भूल जाती हूं ,
अपने आज को इस कल के इंतजार में।

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29 OCT 2022 AT 23:32

जितना ज्यादा तुम्हें जान रही हूं
उतनी ही तुमसे दूर होती जा रही हूं।

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27 OCT 2022 AT 20:27

कुछ बातों को भूल जाना बेहतर है ,
कुछ यादों का मिट जाना बेहतर है।
वो रिश्ते जिनका कोई मुकाम ना हो,
उन रिश्तों का टूट जाना बेहतर है।

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