Dileep Devpal   (Dileep Devpal)
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#dil_kalm
पत्तों को भी अब, पेड़ से झड़ना हैं..
नये सवेरे का एलान होना है......
Joined 22 August 2020


#dil_kalm
पत्तों को भी अब, पेड़ से झड़ना हैं..
नये सवेरे का एलान होना है......
Joined 22 August 2020
19 SEP 2021 AT 9:45

कितना अजीब है ,
दुनिया में कुछ ही लोगों को
अपने प्रेमी का हाथ पकड़े
चलते लड़के - लड़कियां
चरित्रहीन नहीं लगते

कितना अजीब है
कुछ ही लोग...

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9 SEP 2021 AT 15:08

दिल करता है , इन आंखों को अब दबोच लूं
दिल तो ये करता है, की दिल को घर से ही निकाल दूं

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14 AUG 2021 AT 19:58

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मंदिर के सामने एक बस्ती रहती है
आने जाने वालों को तकती रहती है

मंदिर में तो सोना ही सोना है
बस्ती वालों को तो भूखा ही सोना है

खबर है हर बेखबर को भी
हस्ती का रस्ता बस्ती से है गुजरा

कांड करके गंगा घाट चले हैं
घर का पता नहीं केदारनाथ चले हैं

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13 AUG 2021 AT 8:21

उसके लिए मैं पुराना हूं
वो मुझे रोज़ नया लगता हैं

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12 AUG 2021 AT 8:47

एक कली के लिए हमने
कितने फूल विसर्जन कर दिए

एक तीखीं मिर्ची के लिए
कितने जामुन राह में छोड़ आए हैं

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12 AUG 2021 AT 7:54

उससे शिकायतें बोहोत थी
मगर उससे भी जरुरी वो थीं

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11 AUG 2021 AT 16:15

हजारों ख़्वाब संजोए हुए थे
उम्र बढ़ती गई, कम होते गए

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11 AUG 2021 AT 7:40

उससे कौन प्यार करेगा
जो प्यार में हारा हों...
कौन खड़ा होगा उसके साथ
जिसका साथ सबने छोड़ा हो

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3 AUG 2021 AT 20:29

अब जो नहीं है तुमसे कोई वास्ता
फिर भी टूटते तारे से वही दुआ कर बैठा

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1 AUG 2021 AT 16:18

लो अब जो हार गया हूं मैं मेरी नींद
मेरा चैन अब तो अब तो लौटा दो मुझे

क्यों आतें हों ख्वाबों में यादें बन कर
अब मुर्दों को भी मारोगे क्या ।

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