कभी सोचा है क्या____? नदी के उस छोर तुम और नदी के इस छोर मैं बस अपलक देखे पर कभी मिल ना पाए। यूं तो तुम पुरुष हो पर देखा है मैंने तुम्हारी छलकती अश्रुओं को उन्हें बहने देना, और नदी में मिलने देना उन बूंदों को सुना है__! अंबर नही मिला अब तक धरती से नदी के दो किनारे आज तक न मिले वैसे ही हम और तुम ना मिल पाए मेरी कुंठा नदी में मिले तुम्हारे अश्रु के बूंदों के स्पर्श मात्र से ही शायद कुछ पल के लिए तृप्त हो सकती है।