Deepshikha skb   (दीपशिखा)
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Joined 5 April 2018


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2 MAY AT 13:32

२१२२ २१२२ २१२
इश्क़ में पड़ना बुरा होता है जी,
ये सितम भारी बड़ा होता है जी।

बस कहानी में ही दिखती है वफ़ा,
अश्क़ आंँखों में भरा होता है जी!

सुर्ख़ आँखों से पता चलता है ये,
रात भर कोई जगा होता है जी।

शाम की तन्हाइयों में कोई गुम,
इंतज़ारी में खड़ा होता है जी।

ख़्वाहिशों का तो उठाए बोझ वो,
ज़िन्दगी से तो लड़ा होता है जी।

ये हुनर आसाँ नहीं लिखने का तो,
किस्मतों से ये मिला होता है जी।

मुस्कुराहट से न समझो ख़ुश है वो,
दिल से तो वो भी जला होता है जी।

रुह से ताल्लुक तो झूठी बात है,
कौन किससे यूंँ जुड़ा होता है जी।

इत्तिफ़ाक़न तो नहीं मिलना हुआ,
इन लकीरों में लिखा होता है जी।

दिल किसी को चुन ले जो साथी अगर,
दूर रहना फिर सज़ा होता है जी।

इश्क़ कब तक तुम लिखोगी ऐ 'शिखा',
दर्द में भी तो मज़ा होता है जी।
-दीपशिखा





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1 MAY AT 15:57

१२१२ १२१२ १२१२ १२१२
गुलाब दे रहे मुझे जो खुद में इक गुलाब हैं,
हसीं भी हैं जवान भी बहुत ही लाजवाब हैं!

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30 APR AT 22:29

2122. 2122. 2122. 212
लग रही प्यारी बड़ी ही आपकी तस्वीर ये,
मुस्कुराकर पढ रही है इश्क़ की तहरीर ये!

आँखों में जो दिख रहा है बेकरारी का नशा,
रब से माँगी है दुआ के बदले ना तासीर ये।

ज़ायका जब चख लिया नज़दीकियों का इसतरह,
दे तुम्हें फिर क्यों रिहाई बांँहों की जंजीर ये!

कैसे मुझको मिल गये बस सोचती हूँ हर दफ़ा,
आपका सबकुछ चुरा लूँ, प्यारी है तकसीर ये।

है शरारत तो ज़रा सी और शराफ़त भी इधर,
आप मेरे हो गये जब, क्यों लड़े तक़दीर ये।

हर घड़ी चाहत में गुम होश हमको कुछ नहीं ,
इश्क़ में पागल दिवानी बन गयी है हीर ये।

एक अरसे से मेरे ये ख़्वाब थे गिरवी कहीं,
अब हवाले है मेरे तो ख़्वाब की ताबीर ये।

बस यही चाहत है के चलता रहे ये सिलसिला,
ख़त्म हो ही ना कभी अपनी सनम तक़रीर ये।

आपकी यादों से जब कर ली शिखा ने दिल्लगी,
क्या बिगाड़ेगी मेरा फिर हिज़्र की अब पीर ये।
-दीपशिखा

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27 APR AT 12:42

Do you remember that evening when we met last time,
I sat behind u, at the bank of river,
That way the air touched ur shiny hair, looks like she is dancing around u.
I couldn't took away my eyes from you and
the river water looks like singing for you😊
Ur bluring memories always keep knocking my heart doors.
ur redish lips,,ur twinkling eyes, ur lovely face,ohhh what the feelings?
The way u hold my hands
The way u see in my eyes,
as like u want to say something but still u were voiceless..
I traveled far miles away ,,, for hearing ur quite voice,,
That voiceless sound , that feeling, the music of silence,,
Could i explain these in words??
My feelings are like poetry,
In deep my heart something blooming like a flower,, like a pearl hiding in the deep ocean, it is coming these way like a poetry..
When ever i put my thoughts on papers,
In every second in every bit of time u are always there in my mind,
My heart beat began so fastly, when i hear ur name,
Do you believe in love?? Oooffcourse I do.. the sweetest feeling.love is like rain which soothes Your heart soil.
-Deepshikha

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19 APR AT 22:59

२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मत कहो तुम अलविदा यूँ दूर जाना किसलिए!
धड़कनें देती सदा यूँ दूर जाना किसलिए!

हाल सब तुमसे बयाँ कुछ भी छुपाया है नहीं,
फिर न हो ऐसे जुदा यूँ दूर जाना किसलिए!

मुस्कुराते चेहरे के पीछे उदासी क्यों भला,
हर ख़ुशी तुझपे फ़िदा यूँ दूर जाना किसलिए!

अब उतारो ख़ामुशी ये हमसे आकर कुछ कहो,
शिकवों की ओढ़े रिदा यूँ दूर जाना किसलिए!

आप आए तो खिली है ज़िन्दगी मेरी 'शिखा',
ख़्याल मेरे गुदगुदा यूँ दूर जाना किसलिए!
-दीपशिखा

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19 APR AT 9:06

२१२२ २१२२ २१२
कह भी दो मुझसे मुहब्बत है तुम्हें,
रात दिन मेरी ज़रूरत है तुम्हें!

ये छुपाना ये बहाना किसलिए,
इश्क़ करने की इजाज़त है तुम्हें!

अपनी नज़रों को कहो ठहरें ज़रा,
बोलो क्या इतनी सी फ़ुर्सत है तुम्हें!

धड़कनें तुमको पुकारें बारहाँ,
अब बताओ क्या शिक़ायत है तुम्हें!

शायराना दिल ने रख दी बात यूँ,
तुम कहो अब किसकी हसरत है तुम्हें!

बे-वजह क्यों दिल दुखाते हो मेरा,
मुझसे बोलो क्या अदावत है तुम्हें!

हो गयी तैयार प्यारी सी ग़ज़ल,
बस 'शिखा' लफ़्ज़ों से राहत है तुम्हें!
-दीपशिखा

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11 APR AT 14:11

बैर दिल का मिटाकर ज़रा देखिए,
यूँ गले से लगाकर ज़रा देखिए!

आज के दिन ख़ुदा से करें शुक्रिया,
दिल की गलियाँ सज़ाकर ज़रा देखिए!

चाँद भी हैं यहीं, चाँदनी भी यहीं,
रूख़ से पर्दा हटाकर ज़रा देखिए!

चाँद के दीद से इक ख़ुशी मिल गई,
जश्न दिल से मनाकर ज़रा देखिए!

कीजिए ये इबादत ज़रा आप भी,
ये अक़ीदत जगाकर ज़रा देखिए!

ख़ैर सबकी रहे बस दुआ है यही,
ग़म सभी तो भुलाकर ज़रा देखिए!

है मुबारक घड़ी ईद की ये 'शिखा',
आज मीठा खिलाकर ज़रा देखिए!
-दीपशिखा

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3 APR AT 15:05

122. 122 122 122
बहारों का मौसम जवाँ हो रहा है,
जो दिल में छुपा था बयाँ हो रहा है।

तुझे भूल पाना नहीं यार मुमकिन,
मुख़ातिब तू ऐ हमनवाँ हो रहा है।

ये मुस्कान तेरी मुझे जाँ से प्यारी,
तू दुनिया मेरी ये, जहाँ हो रहा है।

पनाहों में तेरी सुकूँ की है बारिश,
तेरा दिल ही मेरा मकाँ हो रहा है।

तू है साथ जो खूबसूरत 'शिखा' सब,
इसी बात पे तो गुमाँ हो रहा है।
-दीपशिखा

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1 APR AT 20:17

22/ 22 22 22
दिल पर अपने हाथ रखो ना,
खुलकर अपनी बात रखो ना!

ये काग़ज़ कितना कोरा है,
इसपर तो ज़ज्बात रखो ना!

आँसू बिखरे मोती जैसे,
कल की गुज़री रात रखो ना!

चिठ्ठी का पतरा खाली है,
‌कुछ भी तुम सौगात रखो ना!

लिपटा इसमें प्यार भी हो जी,
प्यारे से लम्हात रखो ना!
-दीपशिखा

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1 APR AT 10:39

१२२ १२२ १२२ १२२
तुम्हीं से मुहब्बत हमेशा रहेगी,
ये रिश्ते में जिद्दत हमेशा रहेगी!

हाँ तुम भूल जाओ तुम्हें हक है जानाँ,
हमें तुमसे उल्फ़त हमेशा रहेगी!

करो ना करो ज़िक्र तुम यूँ हमारा,
हमें तो ये आदत हमेशा रहेगी!

बनाया था तुमको ये रब हमने अपना,
सनम हम में क़ुरबत हमेशा रहेगी!

चला था के दिल पर कभी मेरा जादू,
वो लम्हों की कीमत हमेशा रहेगी!

यूँ हो ही न पाए के तुम मेरे अपने,
ये मुझमें तो ख़ल्वत हमेशा रहेगी!

कलम लिख रही है मुहब्बत 'शिखा' ये
लिखी ये इबारत हमेशा रहेगी!
-दीपशिखा





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