ज्ञान देने वाले मिलते हैं हज़ार इस ज़माने की राहों में .. ऐ जनाब !! ज़रा हमारी जगह रख कर देखिए ख़ुद को .. हमें तो इस ज़िंदगी में हर मोड़ पर एक इम्तिहान देना है .. हमें तो इस ज़िंदगी में हर मोड़ पर एक इम्तिहान देना है सरकार ..!!
.... ए साथी सुन तो ज़रा .... वक्त की नज़ाकत से अब मन भर गया है .. तुम चले आओ हमसे मिलने के लिए .. मतलबी रिश्तों से अब हमें कोई वास्ता नहीं रखना है ..!!
ये गरम भट्टी की तरह जलती हुई दुपहर .... भट्टी से निकलते हुए धुएं की भांति ढलती हुई शाम .... हर दिन अतीत के विचारों को जलाते हुए गहरी नींद में सो जाती हूं ..... अगला सवेरा होते ही मैं फिर से अपने आज में लौट जाती हूं ..!!
ज़िंदगी है कि हम जीना चाहते नहीं .. मौत है कि ख़ुद से आती नहीं .. गुजार रहे हैं ये वक्त गम - ए - आशिकी में .. दिल है ये कि उनके सिवा कुछ और चाहता ही नहीं ..!!