Deepika   (Deepanjali)
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Joined 22 September 2020


Joined 22 September 2020
16 MAR AT 22:52

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए

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15 MAR AT 21:38

कोई बाहर से कोई अंदर अंदर टूट जाता है
जब इंसाँ आता है गर्दिश की ज़द पर टूट जाता है

अगर मैं मिट गया हालात से तो इस में हैरत क्या
मुसलसल चोट पड़ती है तो पत्थर टूट जाता है

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14 MAR AT 21:41

मेरे हाथ में एक फूल हो

मेरे सामने तू तेरे सामने मैं
और तुझे मेरी मोहब्बत क़ुबूल हो

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14 MAR AT 21:34

Never ending suffering
That affects
Body and Mind

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14 MAR AT 15:09

न खुद से बात की न लोगों को बताया
अकेले में रोया वो और सबको हँसाया

बेवफाई की खुदसे और
याराना ज़माने से निभाया

एक बात बता हिसाब करके चाँद
तूने क्या खोया और तूने क्या पाया

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13 MAR AT 21:21

अपनी हालत का खुद एहसास नहीं है मुझको
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं

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12 MAR AT 21:09

Reading Poems

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11 MAR AT 21:44

ख्वाब ही ख्वाब कब तलक देखूँ
काश तुझे को भी इक झलक देखूँ

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10 MAR AT 21:37

ये मासूम रहे
और दिल है कि समझदार हुआ जाता है

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9 MAR AT 22:37

अब हमें देख के लगता तो नहीं है लेकिन
हम कभी उसके पसंदीदा हुआ करते थे

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