Deepesh Soni  
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Joined 27 June 2018


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Joined 27 June 2018
29 JAN 2021 AT 2:58

नींबू से उतरा क्या करें,
हमे तो ज़िम्मेदारियों ने संभाला हैं ।

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24 JUL 2020 AT 1:22

मुट्ठी की रेत से फिसले, ना जाने तुम कैसे
तुम्हे तो हमने, डायरी के पन्नों में छिपा रखा था ।

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10 JUL 2020 AT 12:16

निकल पड़ा हूँ सफर पे,
अब या तो मुझे मंजिल मिलेगी,
या खुद को मैं मिल जाऊंगा ।

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7 JUL 2020 AT 1:13

It comes in a fucking pack of two,
the night, with the 'thoughts' of you.

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3 JUL 2020 AT 3:44

हाँ, मुझे रात पसंद है,
पर ना तू पसंद है,
ना तेरी याद पसंद है ।

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17 JUN 2020 AT 19:50

जिस ओर भी मैं चला,
फिर उसी मोड़ पे आ कर हु रुका,
मुझमे ही है कुछ ऐसा ?
या तेरे श्राप से श्रापित है ये दुनिया ।

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22 OCT 2019 AT 0:01

तन्हाई है छाई आज फिर से,
रात फिर बिना नींद के कटेगी ।
बवंडर है उठा शब्दो का,
आज फिर कोई शाएरी बनेगी ।

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14 OCT 2019 AT 12:04

ये तो मुँह है जो बोलते बोलते थक जाता है,
सांसे बोलने से कब बाज आती है ।

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12 OCT 2019 AT 23:08

तक तो तुम थे यहाँ,
हमने आँखे क्या खोली
तुम तो खवाबो की तरह
गायब हो गए ।

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6 OCT 2019 AT 5:28

मैं किसी जाने-पहचाने से मोड़ पे तेरा इंतज़ार करूँगा,
तू किसी अनजान सी गुज़र जाना ।

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