Deepanshi  
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Joined 22 October 2020


Joined 22 October 2020
1 OCT 2023 AT 12:07


मैं सोचता हूँ कि
मेरे एक जगह स्थिर रहने से
सबकुछ थम गया हैं
सिर्फ मेरे लिए
पर असल मे यह सिर्फ
एक मृगतृष्णा थी
जिसमें मैं खो गया था
और शायद आगे भी
खो जाना चाहता हूँ।

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10 AUG 2023 AT 13:11

अन्य बिखरे - बिखरे
शब्दों को समेटकर
एक गाँठ में
बाँधती हूँ
तब हर शब्द भी
मुझे यक़ीन दिलाता हैं
कि वह भी मुझे
अपने साथ
एक गाँठ में बाँधकर रखेंगे
जीवन भर के लिए ।

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8 JUN 2023 AT 16:09

भूतकाल ले आता है मुझे
उसी गहरी खाई में
जहाँ से निकलना
अब भी मुश्किल हैं
वह बताता हैं कि
मैं ही वर्तमान और
मैं ही भविष्य हूँ
मैं सदैव तुम्हारे साथ रहूंगा
एक काले साए की तरह ।

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17 APR 2023 AT 13:23

फ़िक्र कुछ करने नही देती
या तो यह
मन के कोने में
किसी डर का
कारण होती है ,
या फिर दिल में
किसी के लिए प्रेम
बस फ़िक्र कुछ
करने नही देती ।

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31 JAN 2023 AT 15:03

थोड़ा-सा स्नेह

हमारी इच्छा थी
-खाने की
-खिलौनो की
-पढने की
-नए कपड़ो की
और सबसे महत्वपूर्ण
जो इन सभी से परे है
"माता-पिता का स्नेह"
और जब बात स्नेह की आती है
तब मैं मानती हूँ
-खाने मे माँ का प्यार
-खिलौनो के साथ मिलकर खेलना
-पढ़ने मे पिता की डाँट
-नए कपड़ो के लिए रूपये बचाना
इन सबके अलावा सभी
चीज़ो की प्राप्ति है ।

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12 OCT 2022 AT 13:30

तुम्हारे सूख जाने पर
मै तुम्हें अपनी किताब के पन्नो
के बीच
रखकर सजाऊंगी
इतना कहकर
वह उस खिले हुए
गुलाब को
तड़पने , मरने के लिए
छोड़ देती है ।

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27 JUL 2022 AT 11:06

ढूंढने से ज़माना ना मिले
भरी महफ़िल मे यार ना मिले
मेरे बुझे चिराग़ की रोशनी,
रोशनी मुझे कहाँ मिले ।

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26 MAY 2022 AT 16:43

फ़र्क ज़रा-सा इंतज़ार का था
वरना मुलाकात हमारी भी होती

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31 MAR 2022 AT 12:37

हर वक्त का डर है
कब , कही टूट ना जाऊ
मैं वो तारा हूँ ,जिसे
आसमान भी पनाह नही देता

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9 FEB 2022 AT 15:03

पहले समय के साथ
निरंतर सबकुछ सही था ,
पर अब
समय के साथ ही
बिगड़ने लगा सबकुछ ।— % &

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