Chhavi Tomar   (छवि)
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कुछ सुना, कुछ देखा
और शब्दों में पिरो दिया
Joined 28 July 2017


कुछ सुना, कुछ देखा
और शब्दों में पिरो दिया
Joined 28 July 2017
26 APR AT 20:04

When nature roars its untamed might, a reminder of its power, yet we humans proclaim dominion, blind to the wild beauty surrounding us

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24 APR AT 17:10

रोज की भागदौड़ में हम भूल जाते हैं
कितनी खूबसूरत चीज़ें हमारे साथ चलती हैं
जिन्हें बस एक ठहराव की जरूरत है
बस एक ठहराव....

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3 JAN AT 19:11

यूं तो साल बदलने से ना इंसान बदलता है न ही उसकी आदतें लेकिन बदली हुई नई तारीख नई उम्मीदें जगाती है, और जीवन बदलने के लिए इतना ही काफी है

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28 SEP 2023 AT 22:36

बिन बात के यू़ं रिश्ता न तोड़
आज पूर्णिमा हुई अगर तेरे यहाॅं
अंधेरी रात में हमें अकेला तो ना छोड़

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27 SEP 2023 AT 21:45

Even after knowing that those eyes will never look at me,
I fell....I fell harder for them.

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9 JUL 2023 AT 19:22

तुमसे पहले
ये गीत, ये कविताएं, ये शब्द
बहुत खास थे मेरे लिए
फिर तुम आई
और सब बेमतलब सा हो गया

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17 FEB 2023 AT 21:44

जाने कितनी कविताएं रही होंगी मेरी
जिन्हें कागज-कलम नसीब नहीं हुआ
वे रह गई केवल मेरे मन मस्तिष्क में
ना ही मैंने उन्हें किसी से साझा किया
सुनो, तुम मेरी उन्ही कविताओं की तरह हो

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19 OCT 2022 AT 19:41

ना थोड़ा कम न थोड़ा ज्यादा
सुनो, स्वयं को तुम बस
इतना ही खोना प्रेम में
जितना दूसरे को पा सको

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6 JUL 2022 AT 16:12

अंत में जब हमारे जाने की बारी आए
एक साथ हम अपने-अपने रास्तों पर निकल जाएं
ताकि फिर ऐसा ना हो कि जब एक जाए
तो दूसरा राह तकता रह जाएं

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26 JUN 2022 AT 19:57

कुछ सपने देखे जाए
कुछ वादे निभाएं जाए
कुछ शिकायतें भी हो दरमियान
थोड़ी नाराजगी भी जताई जाए
प्रेम किया जाए तो ऐसे किया जाए
शब्दों की जरूरत ना पड़े उसमें केवल निभाया जाए
कुछ इस तरह "मेरा" और "तुम्हारा" सफ़र
सोचो अगर "हम" पर खत्म हो जाए

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