कांटों से बचने निकले थे, रास्ते में अंधेरा मिल गया! दर्द से तोडना चाहा सौदा तो, डर ने जकड लिया! भागे दूर डर से, तो हाथ हौसले ने छोर दिया! साथ आगे बढ़ने को, बस हिम्मत ने कदम बढ़ाया!!
फिर क्या था, हाथ थामे हिम्मत का, हर मुश्किल पार हो गई! फूल भी मिले और नए सवेरे भी, रात की गहराई में भी, वो मंजिल जो बिलकुल साफ दिखी!!