आओ बात करते है,
जिंदगी की उलझनों से दूर कहीं मुलाकात करते है,
निकल के इस दिखावटी के जहां से,
इन बेतुकी मतलबी सामाजिक कवायतो से,
हट कर एक नई शुरुवात करते है,
दिल में जो बातें दबी है एक अरसे से,
परते खोल के उसे आज़ाद करते है,
माना दौर है ये वीडियो कॉल का,
व्हाट्सएप पे घर बैठे चैट का,
मगर मिल के हकीकत में अब रूबरू होते है,
मोबाइल को अलग रख के आज,
आओ सिर्फ बात करते है।
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