Chandra Sunita   (चंद्रा सुनीता*)
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कुछ अनकहे जज़्बात बया करते है.....चलो कुछ अल्फाज़ खर्च करते है।।।।।
Joined 17 May 2021


कुछ अनकहे जज़्बात बया करते है.....चलो कुछ अल्फाज़ खर्च करते है।।।।।
Joined 17 May 2021
12 APR AT 23:15

आग और स्वार्थ भी एक से है
अपनी आत्म संतुष्टि के लिए
ये घर भी जला सकते हैं
और
कचरे का ढेर भी... चंद्रा सुनीता*

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2 MAR AT 23:05

किसी गहरे धोखे से उभारना
ठीक वैसे ही पीढ़ादायक होता है
जैसे दोबारा जन्म लेना....
बस फ़र्क इतना ही होता है कि
जन्म की पीड़ा याद नही रहती
धोखे की पीड़ा कभी मिटती नही।। चंद्रा सुनीता*

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29 FEB AT 23:48

एक आंसू फिसला फिर आंखों से.....
कि
जाने दिल को फिर क्या याद आया।। चंद्रा सुनीता*

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28 FEB AT 22:27

आज जिन्हें हम वक्त नहीं दे रहे
कल वक्त
उन्हें हमारा नहीं रहने देगा।।चंद्रा सुनीता*

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26 FEB AT 1:48

तुम पे भरोसा करना मेरी अच्छाई थी...
और
उसका स्थिर रह जाना तुम्हारी।।चंद्रा सुनीता*

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18 FEB AT 9:20

मैं वही हूं ...दिन वही है...
बीत गया साल तो क्या,
दर्द भर वो पल ,अब भी वही है
अनकही शिकायतों...
देखे सारे सपनों के साथ
इंतज़ार में बैठे मन को संभाले
दर्द के लम्हों से घायल ...
मन अब भी वही है
आकाश के तारों को ताकते
सवालों में जवाबों में उलझा बैठा
तन्हाई में बाते करता...
अनजाने रहो में भटका
खुद ही रोता, ख़ुद ही संभलता
आवाज़ों और साथ को तरसा
ख़ुद को गले लगाए...अकेला मौन में बैठा
तन्हा अकेला मन अब भी वही है।।।।
भरोसे से जोड़ा प्यार का रिश्ता
सब्र से सिंचा इंतजार का रिश्ता
तन्हाई को बाटे थे ,जो तेरे वो पल
सपनों को जो साथ सजाया
पोछे जो आंसू तेरे थे ...
उस नमी से आंखो का रिश्ता अब भी वही है।।
बीत गया साल तो क्या...
धोखे और झूठ से तड़पा साजिश से टूटा मन
पीड़ा में डूबा अब भी वही है।चंद्रा सुनीता*
















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7 FEB AT 0:15

खामोशियों में मेरे...
तुम आवाज़ की तरह आना
एकांत के तुम मेरे-साथी बन जाना
हर दर्द के मेरे...
अब दवा तुम हो जाना
सपनों से छूटे मन में...
नए रंग बन समा जाना
हसीं बन के अब...
होठों पे तुम मुस्कुराना
इंतजार से सुखी आंखों में तुम...
खुशी की नमी बन झिलमिलाना
मन न हो जब सफर का...
तुम नई मंजिले ले कर आना
नए इस सफ़र के...
तुम हमराही बन जाना
पतझड़ के इस मौसम में...
तुम बाहर बन के आना
जब भी आना मुझ से मिलने...
मेरे बन के आना।। चंद्रा सुनीता*


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19 JAN AT 22:50

चलो लम्हें चुराते है
उसे ज़िन्दगी बनाते है...
बीत गए जो पल
उनके एहसासों से बाहर आते है...
हर बार कहनी दोहराई तो नहीं जाएगी
फिर कुछ दोस्त नए चुन लाते है...
चलो लम्हें चुराते है
फिर से ज़िन्दगी सजाते है ...चंद्रा सुनीता*

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14 JAN AT 23:38

तुम से मेरा रिश्ता क्या है??
ये सवाल रहने देते है...
मैं कौन हूं तुम्हारी ??
ये बात रहने देते है...
मैं हूं ...तुम हो
क्यों की हम होना चाहते है...
अपने रिश्ते की बस
यही पहचान रहने देते है...चंद्रा सुनीता*

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11 DEC 2023 AT 1:13

ये आज है न कल है
बस एक पल है।।।चंद्रा सुनीता*

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