मैं वही हूं ...दिन वही है...
बीत गया साल तो क्या,
दर्द भर वो पल ,अब भी वही है
अनकही शिकायतों...
देखे सारे सपनों के साथ
इंतज़ार में बैठे मन को संभाले
दर्द के लम्हों से घायल ...
मन अब भी वही है
आकाश के तारों को ताकते
सवालों में जवाबों में उलझा बैठा
तन्हाई में बाते करता...
अनजाने रहो में भटका
खुद ही रोता, ख़ुद ही संभलता
आवाज़ों और साथ को तरसा
ख़ुद को गले लगाए...अकेला मौन में बैठा
तन्हा अकेला मन अब भी वही है।।।।
भरोसे से जोड़ा प्यार का रिश्ता
सब्र से सिंचा इंतजार का रिश्ता
तन्हाई को बाटे थे ,जो तेरे वो पल
सपनों को जो साथ सजाया
पोछे जो आंसू तेरे थे ...
उस नमी से आंखो का रिश्ता अब भी वही है।।
बीत गया साल तो क्या...
धोखे और झूठ से तड़पा साजिश से टूटा मन
पीड़ा में डूबा अब भी वही है।चंद्रा सुनीता*
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