ʙsʀ_ᴀsᴀ_ ᴅɪᴀʀʏ_𝟽𝟾𝟼   (Ms. Siddiqui (BSR-ASA))
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Joined 30 July 2018


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Joined 30 July 2018

मेरे लोगों पर से उठते हुए
एतबार की हद तो देखो तुम,
मैने हक के साथ इस बार
किसी से मिठाई तक नहीं मांगी..

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हमारे आंसुओं का भी
असर तुम पर नहीं होगा
कभी सोचा नहीं था यूं
कि तुम ऐसे भी बदलोगे

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दुश्मनी के नशे में, कुछ जान नहीं रहे,
क्या सही है क्या गलत, पहचान नही रहे,
ख़ुद अपने हाथों काट रहे हैं गर्दन अपनों की,,
या खुदा ! तेरे बन्दे, अब इंसान नही रहे...— % &

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अजीब दोहराओं पर लाकर खड़ा कर रही है
ये ज़िन्दगी वक़्त से पहले मुझे बड़ा कर रही है...— % &

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आज तन्हाई में "सदफ" मुझसे ये सवाल कर बैठी,
आख़िर किसके लिए तू अपना ये हाल कर बैठी....— % &

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खड़े थे किसी छोर पर,
एक दरिया के संग बह गए..
सितम किए ज़िंदगी ने कई,
और हम हंसते-हंसते सह गए।

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Let's start "Jugalbandi"

कुछ तुम पेश करो, कुछ हम सुनाएं साज़..
कुछ दिल की कहो तुम, कुछ हम बताएं राज़..
ख़त्म करते हुए अब सबका इंतज़ार,
करते हैं हम अब इस महफिल का आगाज़..

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Ya khuda !
Jo bhi karna.. bas itna khayal rakhna..
K iss bar mai na girun, kyunki uthne ki himmat nhi h mujh me..
K Iss bar mai na bikhrun.. kyunki sawarte sawarte thak gayi hun mai..
K iss bar mai phir na toot jaun.. kyunki khud ko khud jodne k liye mai maujood nahi rahungi..

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है फर्क बनाया रब ने ये ,,
हां हम दोनों का कोई मेल नहीं ..
गर लड़की होना मुश्किल है
तो लड़का होना भी कोई खेल नहीं ...

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ख़ुद में ही यूं खोए-खोए दिखते क्यूं हम,,
गर कहानी ही न होती तो लिखते क्यूं हम..

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