धीरे धीरे बोल, चुप चाप चुप चाप
शब्द बड़े कठोर, चुप चाप चुप चाप
बहती हवा को, कुछ तोल कुछ माप
सब कर रहे शोर, चुप चाप चुप चाप
ना ही कहीं मेघ, ना बूंद, ना भाप
फिर भी नाचे मोर, चुप चाप चुप चाप
देख चारो ओर, क्या छल ! क्या घात !
थोड़ा तो कर गौर, चुप चाप चुप चाप
देश धुंआ धुंआ, चरस को लगी आग
चढ़ती जाती लोर, चुप चाप चुप चाप
कैसा लोकतंत्र ? कैसा चोकीदार ?
चोरी करता चोर, चुप चाप चुप चाप
मैं भी गोली दागूँ, तू भी गोली दाग
चल आज़माएं ज़ोर, चुप चाप चुप चाप
- बिक्रम बमराह
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