यूं तो अपने दोस्तो के साथ गुजारा हुआ हर लम्हा खास हुआ करता था,
क्योंकि उसमें हम सब का जिक्र हुआ करता था,
मगर तुमसे बातें करते हुए कितना सीखते थे, कब समय बीत जाता था पता ही न चलता था,
और फिर... फ़ोन पर ही सही, अपनी बातें लम्बी चलती थी,
मगर अब तो साथ समय बिताने के लिए समय ही कम पड़ जाता हैं, फ़ोन पर भी बात करना मुश्किल सा हो जाता हैं,
जब पहले बातों में हम हुआ करते थे अब मैं की दास्तां सुनते हैं,
समय सब बदल देता हैं, सुना भी है और देख भी लिया हैं,
कुछ समय की दूरी ने हमारे हम को तुम और मैं में बदल दिया है...
मगर भरोसा और उम्मीद दोनो कायम हैं की जिस समय ने हमारे हम को मैं और तुम में बदल दिया हैं, वो फिर से हमें हम भी बना देगा, जो कुछ भी बिगाडा हैं वो सुधार भी जाएगा... बस हमें भरोसा और विश्वास बरकरार रखना होगा...
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