Bhawya Roshan  
469 Followers · 2 Following

Joined 29 December 2018


Joined 29 December 2018
5 FEB 2022 AT 16:17

औरत का खुद को समझदार बनाना,
उसकी सबसे बड़ी बेवकूफी है।।

-


4 DEC 2021 AT 18:09

नासमझी हीं बेहतर है जिंदगी के लिए,
समझदारियाँ तो अक्सर कमजोर बना देती हैं।

-


12 JUL 2021 AT 11:22

किससे कहें हम जलाने चिराग अपने झोपड़े में,

जब मेरा महल जलाने वाले न थे शामिल गैरों में।

-


13 JUN 2021 AT 21:26

दौर ये इम्तिहानों का है,
दौर ये बिखरने का नहीं निखरने का है।

-


13 JUN 2021 AT 11:48

"मैं" मैं न रही तुझसे मिलने के बाद।

-


14 MAY 2021 AT 23:12

मैं दुनिया में सबसे गरीब हूँ.......
क्योंकि किसी को देने के लिए मेरे पास कोई एहसास कोई जज्बात बांकी नहीं,

और मैं हीं दुनिया में सबसे अमीर भी हूँ....
मेरे पास सब कुछ है क्योंकि मेरे पास तुम हो।

-


5 MAY 2021 AT 23:27

इश्क की राहों में यूं कदम न रखिये थोड़ा ठहरिये

ये राहें बड़ी पथरीली है,
चट्टाने यहां की बड़ी नुकीली हैं,

फूलों की इस बगिया में काँटों का घेरा है,
हारे हुए मुसाफिरों का ये डेरा है,

नकाब के पीछे जाने कौन सा चेहरा है,
हाथों में नमक लिए रहनुमाओं का यहाँ बसेरा है,

-


3 MAY 2021 AT 12:15

आत्म सम्मान और अहम में के बीच बहुत बारीक लाइन है
जिसे अक्सर इंसान समझ नही पता,

आत्म सम्मान यानी सेल्फ रेस्पेक्ट इंसान को मजबूत बनाता है
और अहम मतलब ईगो इंसान को कमजोर बनाता है।

-


3 APR 2021 AT 13:59

इस बेमकसद सी जिंदगी में बेमकसद हीं जिए जा रहे हैं,

ऐसा लगता है बेवजह हीं जिये जा रहे हैं।

-


8 MAR 2021 AT 23:56

मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना......
फूलों की पंखुरी में जो खुद मिट कर छोड़ जाती बीज नवजीवन के लिए,

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना....
पिंजरे के पंछी में जो कैद होकर भी प्रयासरत है सदैव भरने को आकुल उड़ान,

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना........
मेंहदी की पत्तियों में जो खुद मिट कर रंग जाती है जीवन दूजों का,

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना.....
लोहे की फितरत में जो तपकर और चोट खाकर बन जाता है और काबिल,

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना....
आँगन की तुलसी में जिसे मकान में जगह तो मिली पर घर में नहीं,

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना.......
त्याग बलिदान स्नेह की हर सूरत में,
हर स्वाभिमान, मजबूती, दृढ़ता हौसलों की सीरत में,

मैं नारी हूँ मैं अक्श देखती हूँ अपना.....
लक्ष्मी, सरस्वती, अनपूर्णा, सीता की सौम्य मूरत में,
दुर्गा, काली, चंडी की प्रचंड फितरत में।।

-


Fetching Bhawya Roshan Quotes