Iss khushnuma mehfil mein zara tanha sa hun,Ke is amli zindagi ko jeeta ek khaab sa hun,Kehlate to tum ho ek gair haqueeti BhaskarJara bachkar main likhta kharab sa hun. -
Iss khushnuma mehfil mein zara tanha sa hun,Ke is amli zindagi ko jeeta ek khaab sa hun,Kehlate to tum ho ek gair haqueeti BhaskarJara bachkar main likhta kharab sa hun.
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के ज़रा आहिस्ते गिराना मुझे अये अजनबी, अभी होश आने को एक अरसा है।मदहोश हूँ न जाने किस जाम में,के जुबान आज जैसे फरसा है। -
के ज़रा आहिस्ते गिराना मुझे अये अजनबी, अभी होश आने को एक अरसा है।मदहोश हूँ न जाने किस जाम में,के जुबान आज जैसे फरसा है।
के अब्र आज हट गया दोस्तों,एक अरसे बाद चांद को आब्दीदा देखा है। -
के अब्र आज हट गया दोस्तों,एक अरसे बाद चांद को आब्दीदा देखा है।
अरे ज़रा देखो मेरे नफ़्स को आज किसने टटोला, मानो गर्मी में पुरवइया सी बह रही है। -
अरे ज़रा देखो मेरे नफ़्स को आज किसने टटोला, मानो गर्मी में पुरवइया सी बह रही है।
गर रात हर बार तेरी खुश्बू लाती है,तो दिन तेरे बातों का लिहाफ लपेट सी जाती है।अये ज़िन्दगी तेरे हर रूप को एक नया रोज़ ये मौत का डर ही तो बनाती है। -
गर रात हर बार तेरी खुश्बू लाती है,तो दिन तेरे बातों का लिहाफ लपेट सी जाती है।अये ज़िन्दगी तेरे हर रूप को एक नया रोज़ ये मौत का डर ही तो बनाती है।
क्या सोचा था और क्या ये सफर बन गया,जाहां खोजने निकला था सिफर मिल गया। -
क्या सोचा था और क्या ये सफर बन गया,जाहां खोजने निकला था सिफर मिल गया।
वो हस्ते हस्ते हमे किसी और का बताते थे,और अंदर ही अंदर हम उनके हो जाते थे।ये इश्क़ कैसा अजीब है,हर गम में तालीक है। -
वो हस्ते हस्ते हमे किसी और का बताते थे,और अंदर ही अंदर हम उनके हो जाते थे।ये इश्क़ कैसा अजीब है,हर गम में तालीक है।
अजीब सी है ये ख्वाहिश के तस्वीरों के बीच रूह तलाशता है। -
अजीब सी है ये ख्वाहिश के तस्वीरों के बीच रूह तलाशता है।
अजीब है ना ज़िन्दगी?पहले अस्मा को देखकर उड़ना सिखाती है,दूसरे ही पल ज़मीन पर पटक लाती है।अजीब है ना ज़िन्दगी?पहले फ़ौलादी बनना सिखलाती है,और दूसरे ही पल आईने सी टूट जाती है। -
अजीब है ना ज़िन्दगी?पहले अस्मा को देखकर उड़ना सिखाती है,दूसरे ही पल ज़मीन पर पटक लाती है।अजीब है ना ज़िन्दगी?पहले फ़ौलादी बनना सिखलाती है,और दूसरे ही पल आईने सी टूट जाती है।
ये दिन अब बड़े लंबे लगते है,कुछ लोग बाहर यू तरसे लगते है।रैन अंधेर की ढल जाएगी,बंधन पीड़ की फिसल जाएगी।आने वाला कल आज होगा,तेरे सिर पर फिर एक ताज होगा। -
ये दिन अब बड़े लंबे लगते है,कुछ लोग बाहर यू तरसे लगते है।रैन अंधेर की ढल जाएगी,बंधन पीड़ की फिसल जाएगी।आने वाला कल आज होगा,तेरे सिर पर फिर एक ताज होगा।