Best Shayari   (Ahmad Faraz)
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Joined 28 May 2018


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6 NOV 2018 AT 17:41

दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ कर

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6 NOV 2018 AT 16:49

वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है

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24 NOV 2018 AT 17:58

गई रुतों में तो शामो-सहर न थे ऐसे
कि हम उदास बहुत थे मगर न थे ऐसे

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22 NOV 2018 AT 15:23

आज खुलने ही को था दर्द-ए-मोहब्बत का भरम
वो तो कहिए कि अचानक ही तिरी याद आई

बस यूँ ही दिल को तवक़्क़ो' सी है तुझ से वर्ना
जानता हूँ कि मुक़द्दर है मिरा तन्हाई

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22 NOV 2018 AT 1:07

दिल में और तो क्या रक्खा है
तेरा दर्द छुपा रक्खा है

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15 NOV 2018 AT 20:55

मैं इस उमीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इस के बाद मिरा इम्तिहान क्या लेगा

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15 NOV 2018 AT 16:46

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता

तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या
हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता

प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात
किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता

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15 NOV 2018 AT 16:43

तिरे ख़याल के हाथों कुछ ऐसा बिखरा हूँ
कि जैसा बच्चा किताबें इधर-उधर कर दे

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15 NOV 2018 AT 16:40

कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी
तुझ से ही फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी

ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी

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15 NOV 2018 AT 16:34

अपने अंदाज़ का अकेला था
इस लिए मैं बड़ा अकेला था

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