बहुत कुछ दाब में लगाना होता है
बहुत से चीजों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना पड़ता है
मुस्कील तो बहुत होती है
तकलीफ भी बहुत होती है
सब सह कर खुदको समझना पड़ता है
कभी कभी ऐसा भी होता है,
की दिल थोड़ा डर जाता है
हौसला थोड़ा घबरा जाता है
जैसे आंधी के बाद सुबह होती है,
वैसे ही घबराहट के बाद दिल थोड़ा शांत होता है...
बहुत बार यूं लगता है की
हम ही क्यों ?
फिर दिल से आवाज आती है की,
सब फूल मंदिर नहीं जाते,
न ही सब परिंदे चील के जैसे आसमान छू ते हैं।
मुश्किल अति है तो लड़ना ही होगा
दिल थोड़ा दुखता है तो,
उसे संबलना भी होगा ।
सब कुछ छोड़ कर
तुझे आज में ही जीना होगा..
सब कुछ छोड़ कर
तुझे आगे बढ़ना ही होगा..
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